सदैव आगे बढ़ने पर रखें विश्वास, आलोचना को करें नजरअंदाजः उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को भारतीय सांख्यिकी सेवा (आईएसएस) के अधिकारियों से कर्तव्य के पथ पर ईमानदारी के साथ खड़े रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनपर कई तरह के दवाब आएंगे लेकिन वे अपना काम निष्ठा के साथ भारत माता की सेवा के लिए करते रहें।
उपराष्ट्रपति ने आज उपराष्ट्रपति निवास पर 2023 बैच के आईएसएस प्रोबेशनर के साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि कार्य करने के दौरान विभिन्न चुनौतियों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। वे स्वयं इसका शिकार रहे हैं। राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति के रूप में उनके पास संवैधानिक पद है लेकिन उन्हें बख्शा नहीं जाता। इसके बावजूद भी वे सदैव आगे बढ़ने पर विश्वास रखते हैं। धनखड़ ने कहा, “मैं एक पीड़ित हूं। एक पीड़ित को पता है कि अंदर से कैसे झेलना है, सबका सामना करना है, सब अपमान सहना है, एक दिशा के साथ- हम अपनी भारत माता की सेवा में हैं।”
प्रोबेशनर से उपराष्ट्रपति ने अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने को कहा। उन्होंने कहा कि दुनिया हमारी प्रशंसा कर रही है। हममें से कुछ लोग जानबूझकर या अज्ञानतावश हमें नीचा दिखाना चाहते हैं। इसके बारे में कभी भी चिंतित न हों। इस दौरान उन्होंने सांख्यिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह केवल संख्याओं के बारे में नहीं है बल्कि उन संरचना और रुझानों को समझने के बारे में है जिससे हमारे नीतिगत निर्णय तय किए जाते हैं। गलत नीति के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। सांख्यिकी विभाग सामाजिक बीमारियों का निदान करते हैं और सरकार को ऐसी नीतियां विकसित करने में मदद करते हैं जिनसे वास्तव में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने प्रोबेशनर अधिकारियों को अपने क्षेत्र में नई नीतियों, पद्धतियां और प्रगति को अपनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सबसे ज्ञानवर्धक विचार किसी ऐसे व्यक्ति से आ सकता है जिसे हम अक्सर अज्ञानी समझते हैं। एक समय में सत्ता के गलियारे दलालों से भरे हुए थे। यह लोग निर्णय लेने की प्रक्रिया का लाभ उठाते थे। अब इन गलियारों को पूरी तरह से सेनिटाइज कर दिया गया है। इस उपलब्धि के कारण योग्यता को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है।