शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में एक और शिकायत; हिंसा पीड़ितों के लिए फाउंडेशन बनाएगी अंतरिम सरकार
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मंगलवार को एक नई शिकायत दर्ज की गई, जिसमें शेख हसीना और 23 अन्य पर मई 2013 में एक इस्लामी समूह की रैली के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार करने का आरोप लगाया गया। एक स्थानीय अखबार के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के वकील गाजी एमएच तमीम ने हिफाजत-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव (शिक्षा और कानून) मुफ्ती हारुन इजहार चौधरी की ओर से शिकायत दर्ज कराई। अखबार ने जांच एजेंसी के उप निदेशक (प्रशासन) अताउर रहमान के हवाले से कहा, हमने शिकायत दर्ज कर ली है और इस प्रकार आज से जांच शुरू हो गई है।
अपराध और नरसंहार करने का लगाया गया आरोप
उन्होंने बताया कि एक बार जब हम प्रारंभिक जांच पूरी कर लेंगे और घटनास्थल का दौरा कर लेंगे और न्यायाधिकरण का पुनर्गठन हो जाएगा, तो हम अभियोजन पक्ष के माध्यम से आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग करेंगे। इस शिकायत में हसीना और 23 अन्य पर 5 मई, 2013 को मोतीझील के शापला छतर में हिफाजत-ए-इस्लाम की रैली के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार करने का आरोप लगाया गया है।
चार में से तीन शिकायतें आरक्षण आंदोलन से संबंधित
यह अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में दायर की गई चौथी शिकायत है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया गया है, जिन्होंने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। बता दें कि चार में से तीन मामले कोटा सुधार आंदोलन पर केंद्रित हालिया हिंसा से जुड़े हैं।
शेख हसीना के साथ कुल 23 अन्य पर आरोप
वहीं अन्य आरोपियों में अवामी लीग के महासचिव और पूर्व सड़क परिवहन और पुल मंत्री ओबैदुल कादर, पूर्व मंत्री रेशेद खान मेनन, ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन के पूर्व मेयर शेख फजले नूर तपोश, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार सलमान एफ रहमान, प्रधानमंत्री के पूर्व सुरक्षा सलाहकार तारिक अहमद सिद्दीकी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एकेएम शाहिदुल हक, एबीन्यूज24 डॉट कॉम के संपादक सुभाष सिंह रॉय और पूर्व सेना प्रमुख अजीज अहमद शामिल हैं। इनके अलावा, कुछ अज्ञात मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सांसदों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अज्ञात व्यक्तियों और कुछ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के तत्कालीन नीति निर्माताओं को भी आरोपी बनाया गया है।