आजम खान ने बताया जेल का दर्द, कहा कब्र से कुछ ही बड़े कमरे में…
हाल ही में जेल से बाहर आए समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान इन दिनों दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती हैं। राहत की बात यह है कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। इस बीच आजम खान ने अस्पताल के बिस्तर से ही एक टीवी इंटरव्यू में एक बार फिर जेल में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा है कि कब्र से कुछ ही बड़े कमरे में उन्हें रखा गया था। इस दौरान उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराजगी के सवाल पर भी जवाब दिया और कहा कि इसकी कोई वजह नहीं है।
आजम खान ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ”14 कोठरियां थीं, उन सबमें कबाड़ भरा था। उनमें से एक कोठरी में मैं और अब्दुल्ला थे। बाद में मैं अकेला रह गया था। सुबह 6 बजे खोले जाते थे और शाम साढ़े 6 बजे हमारे लिए डबल लॉक लगा दिया जाता था। 8 बाय 11 का कमरा था। कब्र से थोड़ी बड़ी जगह थी। उसी में टॉयलेट था। बराबर थोड़ी सी दूरी पर बीवी भी बंद दी। यह अहसास हुआ कि आखिर हम से इतनी घृणा की वजह क्या है।”
आजम खान से पूछा गया कि बाहर निकलने का उनका हौसला टूट रहा था या मजबूत हो रहा था? आजम खान ने कहा कि हालात तो कुछ ऐसे ही थे। बहुत कम उम्मीद थी। सुप्रीम कोर्ट ने तारीख कायम कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने तय भी कर दिया कि वह सुप्रीम हैं। आजम खान अखिलेश यादव से नाराज हैं? इस सवाल के जवाब में आजम ने कहा, ”ना मुझे नाराज होने का कोई हक है ना इसकी कोई वजह है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें देश का सबसे बड़ा माफिया कहा गया, लेकिन कहीं से कोई आवाज नहीं निकली।
कपिल सिब्बल को राज्यसभा के लिए समर्थन दिए जाने के सवाल पर आजम खान ने कहा, ”उनके (अखिलेश यादव) वास्ते भी बहुत अच्छे हैं। आज से नहीं, मुझसे पहले से, उनके वालिद से रिश्ते अच्छे हैं। लेकिन मुझे उनके राज्यसभा भेजे जाने की खुशी है।” ओपी राजभर की ओर से यह कहे जाने पर कि अखिलेश यादव को एसी कमरे से बाहर निकलना चाहिए, आजम ने कहा कि अभी उनकी मुलाकात ज्यादा और वह उनकी जिंदगी जीने के तरीके से ज्यादा वाकिफ हैं।
अखिलेश यादव को सलाह दिए जान को लेकर आजम ने कहा, ”वह मेरा दर्जा नहीं है, जब मेरी समझ में अपना दर्जा आ गया है तो उसका हक भी नहीं। हवाई सलाह से कोई फायदा नहीं। सलाह तब दी जाती है जब सलाह ली जाए।” हौसला टूट जाने के सवाल पर सपा नेता ने कहा, ”मेरा वजूद बाकी है, मेरी आवाज बाकी है. मेरी सांसें बाकी है, मैं कदमों से अपनी से चल सकता हूं। यही मेरी हिम्मत का सबूत है कि मैं जिंदा हूं। जिंदा हूं तो जिंदा हूं।”