भारत के दुश्मनों पर नरमी बरत रहा बांग्लादेश? उल्फा उग्रवादी की उम्रकैद की सजा घटाकर 14 साल की

बांग्लादेश की उच्च न्यायालय ने उल्फा उग्रवादी परेश बरुआ की उम्रकैद की सजा भी घटाकर 14 साल कर दी है। परेश बरुआ को साल 2014 में भारत के पूर्वोत्तर इलाके में हथियारों की तस्करी का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी। बीते माह ही परेश बरुआ की मौत की सजा को घटाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था। वहीं अब और दरियादिली दिखाते हुए उम्रकैद की सजा को भी घटाकर 14 साल कर दिया गया है।

बीएनपी के पूर्व मंत्री की रिहाई का दिया आदेश
बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने पूर्व की बीएनपी सरकार में मंत्री रहे लुत्फोज्जमां बाबर को भी रिहा कर दिया है। बाबर को पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी संगठन को हथियारों की तस्करी करने के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। माना जाता है कि उल्फा उग्रवादी परेश बरुआ फिलहाल चीन में रह रहा है तथा उसे साल 2014 में उसकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश की अदालत ने मृत्युदंड सुनाया था। उसका नाम भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ‘सर्वाधिक वांछित’ अपराधियों की सूची में भी शामिल है।

हथियारों का जखीरा हुआ था बरामद
अप्रैल 2004 में बांग्लादेश के चटगांव में हथियार लदे दस ट्रक जब्त किए थे। जब्त किए गए हथियारों में 27,000 से अधिक ग्रेनेड, 150 रॉकेट लांचर, 11 लाख से अधिक गोला-बारूद, 1,100 सब मशीन गन और एक करोड़ से ज्यादा गोलियां शामिल थीं। इन ट्रकों को सरकार के प्रभावशाली वर्ग से संरक्षण मिलने का भी खुलासा हुआ था। कोर्ट ने बरुआ सहित पांच और दोषियों की भी जेल की सजा कम कर दी। बाबर की रिहाई के आदेश जारी होने के बाद उसके केरानीगंज जेल से रिहा होने का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले 30 जनवरी, 2014 को चटगांव के एक विशेष न्यायाधिकरण ने हथियार बरामदगी मामले में पिछली बीएनपी सरकार के दो पूर्व मंत्रियों, दो पूर्व सेना जनरलों और एक शीर्ष उल्फा नेता सहित 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी।

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