शुरुआत में पिछड़ी भाजपा ने चुनाव को करीबी लड़ाई में बदला, जानें समीकरण
मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा चुनाव के लिए 26 दिन चले प्रचार अभियान में सत्ता के मुख्य दावेदार भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने जमकर जोर लगाया। खूब आरोप-प्रत्यारोप हुए। व्यंग्यबाण चले। अयोध्या व हिंदुत्व के मुद्दे भी आए। लेकिन, ध्रुवीकरण वाली तस्वीर नहीं बनी। चुनाव एलान से पहले कमजोर आंकी जा रही भाजपा चुनाव को कांटे की लड़ाई में खींच लाई। भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर थामने के लिए चुनाव को मोदी बनाम कमलनाथ बनाने की रणनीति अपनाई तो कांग्रेस ने मोदी फैक्टर से बचने के लिए कमलनाथ बनाम शिवराज पर चुनाव केंद्रित करने में ताकत लगाई। मगर, ‘एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी’ तथा संकल्प पत्रों पर ‘मोदी की गारंटी’ के प्रचार ने आखिरकार चुनाव को कमल बनाम कमलनाथ से आगे मोदी बनाम कांग्रेस पर केंद्रित कर दिया।
दावे दोनों तरफ से 150 सीटें जीतने के हैं। लेकिन भोपाल (मध्य भारत) से विंध्य, मालवा से निवाड़, महाकौशल से ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड तक की 3 हजार किमी से ज्यादा लंबी यात्रा में करीब 30 से 35 सीटें कांटे की लड़ाई में नजर आई हैं। लग रहा है कि करीब 20 सीटों की हार-जीत बागियों को मिलने वाले वोटों से ही तय हो पाएगी। दोनों दलों को करीब 10-15 सीटों पर भितरघात का खतरा है। अब सबकी नजरें इसपर टिकी हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव के रिहर्सल के तौर पर देखे जा रहे इस चुनाव में मध्य प्रदेश के 5.61 करोड़ मतदाता मोदी की गारंटी पर मुहर लगाते हैं या कमलनाथ को फिर गद्दी देकर कड़ा संदेश सुनाते हैं।
महिला आरक्षण और जाति जनगणना का मुद्दा ज्यादा नहीं चला : केंद्र सरकार ने संसद व विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का कानून बनाया। धीरे-धीरे दोनों ही पार्टियों ने इस मुद्दे से फोकस हटा लिया। इसी तरह बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े सामने आने के बाद ये चुनाव हो रहे हैं। प्रारंभ में कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कोशिश की। लेकिन, जैसे ही भाजपा की ओर से पीएम व सीएम के पदों पर पिछड़ों को अवसर देने से जुड़े सवाल उठने शुरू हुए, पार्टी ने इस पर फोकस कम कर दिया।
2.72 करोड़ महिला मतदाताओं की अहम भूमिका
मध्य प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 2.72 करोड़ से ज्यादा है। भाजपा और कांग्रेस ने इनका समर्थन पाने के लिए नकद हस्तांतरण के बड़े वादे किए हैं। भाजपा ने देना शुरू कर दिया है। आगे बढ़ाने की बात की है। कांग्रेस ने आकर देने को कहा है। देखना होगा, महिलाएं किस पर भरोसा जताती हैं। जानकार बताते हैं कि मतदान में महिलाओं की भागीदारी सबसे अहम होगी।
छिंदवाड़ा बनाम बुधनी मॉडल भी रहा चर्चा में
कांग्रेस ने कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा के विकास कार्यों को एक मॉडल के तौर पर प्रचारित किया। कमलनाथ नौ बार यहां से सांसद रहे हैं। यहां कई नामी उद्योग लगाने में भी कमलनाथ की भूमिका बताई जाती है। जवाब में भाजपा सीएम शिवराज के चुनाव क्षेत्र बुधनी में कराए गए काम मॉडल के तौर पर गिना रही है। भाजपा कहती है कि बुधनी घाट रोड, नर्मदा घाटी का विकास, कृषि कॉलेज व अस्पताल की स्थापना के अलावा भैरूंदा-रेहटी-बुदनी नेशनल हाइवे, मेडिकल कालेज, आठ महाविद्यालय, चार आईटीआई, एक पॉलीटेक्निक व चार सीएम सनराइज स्कूलों की स्थापना के साथ क्षेत्र में करीब 550 करोड़ रुपये से सड़कों का जाल बिछाया गया है।
प्रज्ञा ठाकुर का चुनाव में पता नहीं
इस चुनाव में हिंदुत्व और राम मंदिर की बात जरूर हुई लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव की तरह नहीं। जानकार बताते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में भोपाल से सांसद प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर और कांग्रेस से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह आमने-सामने थे। पूरा चुनाव ध्रुवीकृत हो गया था। इस बार पूरा विधानसभा चुनाव बीत गया, प्रज्ञा का पता नहीं चला।