तिरंगा उतारने वालों के नकाब उतारती फिल्म, इंदिरा और अदा की शानदार अदाकारी

छत्तीसगढ़ के मशहूर चित्रकूट झरने का आकर्षण कोई 15 साल पहले मुझे बस्तर, दंतेवाड़ा और जगदलपुर की तरफ ले गया। रायपुर के दक्षिण के ये इलाके विकास से मीलों दूर हैं, लेकिन इसी इलाके में बनी लोहे की खदानों में लगे लौह अयस्क के पहाड़ों को देखकर ये तो समझ आया था कि इन इलाकों में नक्सल समस्या कुछ वास्तविक है और कुछ कॉरपोरेट घरानों की बनाई हुई। चंद बड़े घराने दूसरे घरानों को इन इलाकों मे कारोबार के लिए आने नहीं देना चाहते।

इलाके के आदिवासी अपनी जर, जमीन और जंगल को सीने से लगाए हैं। यहीं अबूझमाड़ है। इसे लेकर इतनी किंवदंतियां हैं कि कायदे की एक्शन थ्रिलर बन सकती है। विपुल शाह से यहां की भौगोलिक संरचना पर लंबी चर्चाएं हुईं। लेकिन, इन चर्चाओं की तह में एक ऐसी कहानी पनप रही है जिसके निशाने पर पूरा का पूरा ‘लेफ्ट’ होगा और जो कहानी दंडकारण्य के जंगलों में सक्रिय नक्सलियों का नाता आईएसआईएस, लश्कर ए तोइबा, लिट्टे और दुनिया के दूसरे आतंकवादी संगठनों से दिखाएगी, ये सोचना भी दूर की कौड़ी लाने जैसा ही रहा।

‘द केरल स्टोरी’ की तिकड़ी में नई एंट्री
फिल्म ‘बस्तर द नक्सल स्टोरी’ इतिहास को नए सिरे से लिखने की एक और कोशिश है। अपनी पिछली फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में निर्माता विपुल शाह और निर्देशक सुदीप्तो सेन ने लव जिहाद की निशाने पर आईं कुछ हिंदू युवतियों की केस स्टडी लेकर एक धमाकेदार फिल्म बनाई थी। फिल्म में अदा शर्मा के साथ साथ बाकी अभिनेत्रियों की अदाकारी ने रंग जमाया और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई की। इस बार भी तीनों ने मिलकर फिर कुछ ऐसा ही रचने की कोशिश की है, लेकिन इस बार पूरी कहानी की धुरी सिर्फ एक केस स्टडी पर टिकी है और इस बार अदा शर्मा पीड़ित भी नहीं हैं।

कहानी चूंकि आदिवासियों के उत्पीड़न की है सो इस बार कहानी के केंद्र में इंदिरा तिवारी हैं। इंदिरा भोपाल से हैं। मध्य भारत की युवतियों सी उनकी कद काठी है। और, कहानी के मुख्य किरदार रत्ना कश्यप से उनका साम्य भी ठीक बैठा है। रत्ना, उसके पति और दो बच्चों रमन और रमा की इस कहानी में आईपीएस नीरजा माधवन का किरदार आता जाता रहता है। सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे एक मुकदमे की तरह।

एंड क्रेडिट्स में फिल्म का उद्देश्य
‘द केरल स्टोरी’ और ‘बस्तर द नक्सल स्टोरी’ दोनों फिल्मों का उद्देश्य एक सा है। पहला, देश के गणतंत्र बनने के बाद एक खास सियासी दल की सरकार के दौरान उपद्रवियों के हौसले बुलंद होते दिखना। और दूसरा, बीते कुछ साल में इन उपद्रवियों के दमन के लिए की गई कोशिशों का महिमामंडन करना। फिल्म ‘बस्तर द नक्सल स्टोरी’ अपने उपसंहार के बाद बताती है कि बीते पांच साल में बस्तर के पर्यटन में 80 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

हालांकि, सच ये भी है कि खुद इस फिल्म की शूटिंग बस्तर में न होकर निर्देशक सुदीप्तो सेन के मुताबिक महाराष्ट्र के जंगलों में हुई है। फिल्म के मुहूर्त पर इसमें अदा शर्मा का किरदार नीरजा माथुर था, रिलीज होते होते ये नीरजा माधवन हो गया। माथुर और माधवन को लेकर फिल्म बनाने वालों का जो अंतर्द्वद्व रहा है, वही इस फिल्म की पूरी मेकिंग में नजर आता है। फिल्म समीक्षकों से पहले फिल्म को इन्फ्लुएंसर्स को दिखाने में भी यही दुविधा शायद रही होगी।

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