‘सोने के गहने भी ईएमआई पर खरीदने की मिले अनुमति’ सर्राफा बाजार को केंद्रीय बजट से हैं ये उम्मीदें
छोटे ज्वेलरी व्यापारी अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए कई तरह की स्कीम अपने ग्राहकों के लिए पेश करते रहे हैं। बड़े संगठित ज्वेलर्स भी बिक्री बढ़ाने और ग्राहकों आकर्षित करने के लिए कई तरह के ऑफर देते रहते हैं। ज्वेलर्स अब सरकार से कंज्यूमर ड्यूरेबल की तरह सोने के गहनों को आसान किश्तों यानी ईएमआई पर खरीदने की अनुमति सरकार से मांग रहे हैं। ज्वेलर्स इसकी मांग पिछले तीन से चार से कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से इसको लेकर अभी तक कोई बात नहीं कही गई है। इसी महीने बजट पेश होने वाला है। इसलिए एक बार फिर से ज्वेलर्स सोने पर आयात ड्यूटी घटाने और सोने की बिक्री को बढ़ाने के लिए ईएमआई पर गहनों खरीदारी को अनुमति देने की मांग कर रहे हैं।
ईएमआई पर गहनों को बेचने की मिले अनुमति
मुंबई ज्वेलर्स एसोसिएशन के कुमार जैन का कहना है कि गहनों को भी ईएमआई पर खरीदने की अनुमति इस बजट में सरकार से को देनी चाहिए। इससे सोने के गहनों की बिक्री बढ़ेगी विशेषकर छोटे और मध्यम वर्ग के लोग जो अधिक महंगा होने की वजह से सोने की खरीदारी नहीं कर पाते हैं, वह भी ईएमआई पर गहनों को खरीदारी कर सकेंगे। इससे छोटे ज्वेलर्स की बिक्री भी बढ़ेगी।
आयात शुल्क 15 से घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग
जेम्स एंड ज्वेलरी उद्योग कुल निर्यात में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है। सर्राफा बाजार इस बार सरकार से बजट में गहनों की खरीदारी के लिए ईएमआई की अनुमति देने के अलावे गहनों के लिए पूरे भारत में अनिवार्य हॉलमार्किंग और घरेलू व्यापारियों के लिए गिफ्ट सिटी में आभूषण निर्यात के लिए केंद्र की स्थापना करने की भी मांग कर रहा है। अल्पविकसित देशों (एलडीसी) और मुक्त व्यापार समझौता(एफटीए) वाले देशों से आयात शुल्क लाभ रोकने की भी उद्योग को अपेक्षा है क्योंकि यह बाजार का नुकसान बढ़ानते हैं। मौजूदा आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग उद्योग की ओर से की जा रही है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से ब्याज पर मिले आयकर छूट की अनुमति
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता का कहना है कि इंडस्ट्री की परेशानियों और उम्मीदों की लिस्ट सरकार तक पहुंचा दी गई है। जिसमें इस सेक्टर के लिए एकल नियामक और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से ब्याज पर आयकर छूट की अनुमति मिले, साथ ही सोने के मुद्रीकरण को बढ़ावा देने और आयात को कम करने के लिए सोने और गहनों की बिक्री पर पूंजीगत लाभ हटाने की मांग है। साथ ही कमोडिटी एक्सचेंज के जरिए से ज्वेलरी उद्योग को उधार देने और उधार लेने अनुमति, सीईपीए के तहत चांदी पर शुल्क को सोने के बराबर लाने जैसी मांग रखी गई हैं।