सीईए ने कहा- विकासशील देशों पर कार्बन कर लगाना उचित फैसला नहीं, पढ़ें व्यापार की अहम खबरें
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित देशों के कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था (सीबीएएम) जैसे उपाय विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए उचित नहीं हैं। यूरोपीय संघ ने भारत और चीन जैसे देशों के इस्पात व सीमेंट जैसे कुछ उत्पादों पर एक जनवरी, 2026 से कार्बन कर लगाने का फैसला किया है। जलवायु वित्त पर आयोजित कार्यशाला में सीईए ने बृहस्पतिवार को कहा, विकसित देश जिस तरह का प्रीमियम विकासशील दुनिया को देने पर विचार कर रहे हैं, वह सीबीएएम नहीं हो सकती है। यूरोपीय संघ का कार्बन कर भारतीय निर्यातकों का लाभ प्रभावित कर सकता है।
स्किल इंडिया डिजिटल से कोर्स करने के बाद माइक्रोसॉफ्ट, गूगल रिलायंस में नौकरी का अवसर
स्किल इंडिया डिजिटल से कोर्स करने वाले युवाओं को फ्लिपकार्ट, इंफोसिस, आईआईटी गुवाहाटी और लॉजिकनॉट्स, टाइम्सप्रो, बीसीजी, गूगल, अपग्रेड, अनस्टॉप, माइक्रोसॉफ्ट, एम3एम फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, यस फाउंडेशन, यूपीएस और टीमलीज एडटेक नौकरी देंगे। 15 मल्टीनेशनल कंपनी और औद्योगिक घराने अपनी जरूरतों के आधार पर नेशनल स्किल डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएसडीसी) से युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिलवाएंगे।
इसके बाद उन्हें रोजगार से जोड़ा जाएगा। खास बात यह है कि रोजगार से जोड़ने से पहले स्किल इंडिया डिजिटल के कोर्स करने के दौरान उन्हें इंटर्नशिप करने का मौका भी मिलेगा। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को एनएसडीसी और इन 15 मल्टीनेशनल कंपनी और औद्योगिक घरानों के साथ समझौता हुआ। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय वर्कफोर्स यानी कार्यबल दुनिया की मांग को पूरा कर नए मानक भी स्थापित करेगा।
स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग के मंत्र को अपनाने के बाद अब भारत रुकने वाला नहीं है। भारत के कौशल विकास की दुनिया तारीफ कर रही है। इसीलिए दुनिया के कई देश भारत से अपने युवाओं को कौशल विकास में दक्ष बनाने के लिए सहयोग मांग रहे हैं। हमने स्किलिंग ईकोसिस्टम में विभिन्न डिजिटल पहल शुरू की हैं, जो कहीं भी, कभी भी और सभी के लिए कौशल सुनिश्चित कर रही हैं। जैसे-जैसे भारत प्रौद्योगिकी, स्केल और स्थिरता का लाभ उठाकर एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।
आपदाओं से 275 अरब डॉलर का हुआ नुकसान
सीईए ने कहा, विकासशील देशों के नजरिये से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सबसे अच्छा बीमा निरंतर आर्थिक वृद्धि है। 2022 में प्राकृतिक आपदाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 275 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इसमें 45 फीसदी नुकसान को बीमा कवर मिला था, जिस पर 125 अरब डॉलर खर्च हुए।