जीबीएस डिसऑर्डर की निगरानी के लिए केंद्र ने सात सदस्यों की टीम का किया गठन, एक संदिग्ध की मौत

केंद्र ने महाराष्ट्र में इम्युनोलॉजिकल नर्व डिसऑर्डर गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों की निगरानी और प्रबंधन में राज्य की सहायता के लिए विशेषज्ञों की सात सदस्यीय टीम का गठन किया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि महाराष्ट्र में जीबीएस से जुड़ी पहली संदिग्ध मौत सोलापुर में हुई है। जबकि पुणे में प्रतिरक्षा तंत्रिका विकार के मामलों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है।

एक अधिकारी ने बताया कि व्यक्ति पुणे आया था, जहां उसके रोग की चपेट में आने का संदेह है, तथा सोलापुर में उसकी मृत्यु हो गई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा, “रविवार को पुणे में जीबीएस से पीड़ित लोगों की कुल संख्या बढ़कर 101 हो गई, जिनमें 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 16 रोगी जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं। सोलापुर में एक व्यक्ति की जीबीएस से मौत होने का संदेह है।

इस बीच, रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) और पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने पुणे के प्रभावित सिंहगढ़ रोड क्षेत्र में निगरानी जारी रखी। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, जीबीएस के बढ़ते मामलों की निगरानी और इससे निपटने में राज्य की सहायता के लिए विशेषज्ञों की सात सदस्यीय उच्च स्तरीय टीम महाराष्ट्र में तैनात की गई है।

क्या है बीमारी के लक्षण?
जीबीएस एक दुर्लभ विकार है, जिसमें शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं। चिकित्सकों ने बताया कि आम तौर पर जीवाणु और वायरल संक्रमण जीबीएस का कारण बनते हैं, क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि जीबीएस बाल और युवा आयु वर्ग दोनों में पाया जा रहा है, लेकिन इससे महामारी या वैश्विक महामारी नहीं फैलेगी। उन्होंने कहा कि ज्यादातर रोगी उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शुरुआत में 24 संदिग्ध मामले पाए जाने के बाद इस संक्रमण के अचानक तेजी से फैलने की जांच के लिए आरआरटी का गठन किया है।

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