रामलला की मूर्ति फाइनल होने पर चंपत राय बोले- ‘मैं अभी कुछ नहीं कहूंगा’
भव्य राम मंदिर में स्थापित करने के लिए रामलला की तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन हो गया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी। तीन मूर्तिकारों में से कर्नाटक के जानेमाने मूर्तिकार योगीराज अरुण की बनाई मूर्ति पर मुहर लगी है।
हालांकि, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में मैं अभी कुछ नहीं बोलूंगा। मूर्तिकार मंदिर समिति ही इस पर अंतिम फैसला लेगी। जानकारी मिली है कि मूर्ति पर मुहर तो गई है, लेकिन ट्रस्ट 17 जनवरी को इस बारे में राम भक्तों को जानकारी देगा। आपको बता दें कि इस दिन रामनगरी में नगर यात्रा निकाली जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर लिखी यह बात
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर लिखा कि ‘जहां राम हैं, वहां हनुमान हैं। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चयन हो गया है। हमारे देश के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार, हमारे गौरव अरुण योगीराज के द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी।
यह राम और हनुमान के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हनुमान की भूमि कर्नाटक से रामलला के लिए यह एक महत्वपूर्ण सेवा है।’ रामलला की अचल मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी समेत कर्नाटक, राजस्थान व उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर ट्रस्ट ने मंगाए थे। इन सभी पत्थरों को परखा गया तो राजस्थान व कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली।
इसलिए हुआ था कर्नाटक व राजस्थान की शिला का चयन
कर्नाटक की श्याम शिला व राजस्थान के मकराना के संगमरमर शिला को इनकी विशेष खासियतों के चलते चुना गया। मकराना की शिला बहुत कठोर होती है और नक्काशी के लिए सर्वोत्तम होती है। इसकी चमक सदियों तक रहती है। वहीं कर्नाटक की श्याम शिला पर नक्काशी आसानी से होती है। ये शिलाएं जलरोधी होती हैं, इनकी आयु लंबी होती है।
मूर्ति निर्माण के तय हुए थे ये मानक
- मूर्ति की कुल ऊंचाई 52 इंच हो
- श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हों
- -मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य हों
- कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति
- हाथ में तीर व धनुष
- मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलके
सोशल मीडिया पर योगीराज की काफी फैन फॉलोइंग
योगीराज एक जाना-माना नाम हैं और सोशल मीडिया पर उनकी काफी फैन फॉलोइंग है। प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे 37 वर्षीय अरुण योगीराज मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से आते हैं। अरुण के पिता गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए भी कार्य कर चुके हैं। एमबीए की पढ़ाई कर चुके योगीराज पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। एमबीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में भी काम किया, लेकिन 2008 में मूर्तिकार बनने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार सहित कई हस्तियों की मूर्ति बनाई
केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के निर्माण के अलावा योगीराज ने मैसूरु में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा, महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार-IV और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद संगमरमर की प्रतिमा भी बनाई है। इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण ने ही तराशी है।