यूक्रेन के ऑर्थोडॉक्स चर्च में 106 साल बाद बदलाव, रूस से तनाव के बीच पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस
युद्ध के बीच रूस की अनदेखी करते हुए यूक्रेन ने 106 साल बाद पहली बार क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाने का फैसला लिया। पहले जूलियन कैंलेडर के आधार पर सात जनवरी को क्रिसम मनाया जाता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस का दबदबा खत्म करने के लिए यूक्रेन ने पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने का फैसला लिया। इसे बड़ा सांस्कृतिक बदलाव माना जा रहा है।
दरअसल, अधिकांश पूर्वी ईसाई चर्च जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं। इसके मुताबिक क्रिसमस 7 जनवरी को पड़ता है। खबरों के अनुसार यूक्रेन में अधिकांश रूढ़िवादी मसीही विश्वासियों ने रूस को अपमानित करते हुए ईसा मसीह के जन्म का जश्न मनाया। राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने रविवार शाम जारी क्रिसमस संदेश में कहा, ‘सभी यूक्रेनवासी एकजुट हैं। एक बड़े परिवार, राष्ट्र और एकजुट देश के रूप में हम क्रिसमस एक ही तारीख को एक साथ मनाते हैं।
ओडेसा के दक्षिणी काला सागर बंदरगाह में, चर्च जाने वालों ने प्रार्थना की और मोमबत्तियां जलाईं। सोने के वस्त्र पहने पुजारियों ने कैथेड्रल ऑफ द नैटिविटी में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर ईसाई धर्म से जुड़ी रस्मों को निभाया। चर्च को क्रिसमस ट्री और ईसा मसीह के जन्म से जुड़े प्रसंगों की झांकी से सजाया गया था।
यूक्रेन में एक डॉक्टर की मां पैरिशियन ओलेना ने कहा, हमारा मानना है कि हमें वास्तव में पूरी दुनिया के साथ क्रिसमस मनाना चाहिए। रूस के दबदबे को लेकर उन्होंने कहा कि मॉस्को से बहुत दूर यूक्रेन ने पूरी दुनिया को अब नया संदेश दिया है। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक ओलेना ने कहा, ‘हम वास्तव में नए तरीके से जश्न मनाना चाहते हैं। पूरे यूक्रेन में एक साथ छुट्टी है। यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
‘रूसी विरासत को त्यागने की शुरुआत’
अधिकांश पूर्वी ईसाई चर्च ग्रेगोरियन कैलेंडर के बजाय जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं। इसके तहत बीते 106 साल से (1917 से) क्रिसमस 7 जनवरी को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही थी। हालांकि, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जुलाई में एक कानून पर हस्ताक्षर कर इसमें ऐतिहासिक बदलाव किया। पहली बार क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया।
सरकारी आदेश के अनुसार, यूक्रेन में 7 जनवरी के बदले 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाने की रूसी विरासत को त्यागने’ की शुरुआत है। इसे रूसी और सोवियत साम्राज्य से जुड़े निशान मिटाने की दिशा में भी बड़ा और ठोस कदम माना जा रहा है। सड़कों का नाम भी बदला जा रहा है। कई स्मारकों को भी हटाया जा चुका है।
गौरतलब है कि 2014 में मॉस्को ने क्रीमिया पर कब्ज़ा किया था। इसके बाद पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों के समर्थन का मामला सामने आया था। इसके बाद यूक्रेन का ऑर्थोडॉक्स चर्च औपचारिक रूप से रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च से अलग हो गया।