‘भारत-ताइवान के बीच बधाई संदेश कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा’, चीन के विरोध पर अमेरिका का बयान
कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के एक दूसरे को जीत की बधाई देने पर चीन ने विरोध जताया है। जिस पर अमेरिका ने कहा है कि दो विदेशी नेताओं के बीच इस तरह के बधाई संदेश कूटनीतिक व्यापार का हिस्सा हैं। मिलर ने यह उत्तर उस सवाल के जवाब में दिया, जब उनसे पूछा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव जीतने के बाद ताइवान के साथ और बेहतर रिश्ते करने के लिए कहा है। लेकिन चीन इस पर आपत्ति जता रहा है।
PM मोदी की जीत पर ताइवान के राष्ट्रपति ने किया था ट्वीट
बुधवार को ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई दी थी, जिस पर प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए ताइवान से अच्छे रिश्ते की बात कही थी।
लाई चिंग-ते पिछले महीने ताइवान के नए राष्ट्रपति बने थे। पीएम मोदी की जीत पर उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई। हम तेजी से बढ़ती ताइवान और भारत की साझेदारी को बढ़ाने और आपसी सहयोग को और बेहतर करने के लिए तत्पर हैं। इसके साथ ही हम दोनों देशों के बीच शांति और समृद्धि बढ़ाने की ओर अग्रसर हैं।’ वहीं ताइवान के राष्ट्रपति की पोस्ट पर उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, ‘इस बधाई संदेश के लिए आपका धन्यवाद, मैं दोनों देशों के रिश्तों को और अच्छा होते देखता हूं, जिससे कि हम साथ मिलकर अपनी तकनीक और आर्थिक साझेदारी को और बढ़ाएंगे।’
भारत और ताइवान के बीच बधाई संदेश पर चीन ने जताई थी आपत्ति
दो देशों (भारत और चीन) के नेताओं के बधाई संदेशों के बीच चीन ने गुरुवार को आपत्ति जताई थी। चीन ने जोर देते हुए कहा कि नई दिल्ली को ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक बातों का विरोध करना चाहिए।
द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना के मुताबिक मीडिया से बात करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ‘चीन ताइवान अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है। दुनिया में केवल एक ही चीन है। ताइवान चीन के क्षेत्र का एक अभिन्न अंग है।