कांग्रेस ने अदाणी मामले में जेपीसी की मांग की, जयराम रमेश ने गुजरात सरकार पर लगाया मदद का आरोप
नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को अदाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग को दोहराया। पार्टी ने गुजरात सरकार पर राज्य के बंदरगाह क्षेत्र पर एकाधिकार सुनिश्चित करने के लिए अदाणी पोर्ट्स की मदद करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि गुजरात सरकार निजी बंदरगाहों को बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओओटी) आधार पर 30 वर्ष की रियायत अवधि प्रदान करती है, जिसके बाद इसका स्वामित्व उन्हें हस्तांतरित हो जाता है।
जयराम रमेश का आरोप
जयराम रमेश ने कहा कि इस मॉडल के आधार पर अदाणी पोर्ट्स का मौजूदा समय में मुंद्रा, हजीरा और दहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अदाणी पोर्ट्स ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी)से इस रियायत अवधि को 45 साल से बढ़ाकर 75 वर्षों तक करने की अपील की थी।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, “यह 50 वर्षों की अधिकतम स्वीकार्य अवधि से बहुत अधिक थी। जीएमबी ने गुजरात सरकार से तुरंत ऐसा करने का अनुरोध किया। जीएमबी इतनी जल्दी में थी कि उन्होंने अपने बोर्ड की मंजूरी के बिना ही ऐसा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप फाइल वापस आ गया।” उन्होंने आगे कहा कि जीएमबी बोर्ड ने सिफारिश की कि गुजरात सरकार 30 साल की रियायत के पारित होने के बाद अन्य संभावित ऑपरेटरों और कंपनियों से बोलियां आमंत्रित करके या अदानी के साथ वित्तीय शर्तों पर फिर से बातचीत करके अपने राजस्व हितों की रक्षा करे।
रमेश ने आगे कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिस्पर्धा की इस संभावना से क्रोधित टेम्पो-वाले ने जीएमबी बोर्ड के निर्णय में परिवर्तन के लिए बाध्य किया – बिना नई बोलियां आमंत्रित करे हुए या शर्तों पर बातचीत किये हुए, जिसे अदाणी के लिए रियायत अवधि के विस्तार की सिफारिश करने के लिए संशोधित किया गया था। बेशक, मुख्यमंत्री और अन्य सभी ने यह सुनिश्चित करने के लिए जल्दबाजी की, कि यह प्रस्ताव पारित हो जाए और सभी हितधारकों से आवश्यक मंजूरी मिल जाए।”