जनता के हितों को ध्यान में रख कर लिए जाएंगे फैसले, पदभार संभालकर बोले नए आरबीआई गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के 26वें गवर्नर के रूप में संजय मल्होत्रा ने बुधवार को पदभार संभाला। पद ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि आरबीआई जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले लेगा, इसके अलावा पॉलिसी में स्थिरता लाने पर फोकस किया जाएगा। नए गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति प्रतिदिन लोगों को प्रभावित करती है। उन्होंने अपने पहले संबोधन में कहा कि गिरते हुए रुपये को रोकना एक चुनौती होगी, क्योंकि दुनिया में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है। बावजूद इसके भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ को आगे बढ़ाने पर आरबीआई की बड़ी भूमिका है, जिस पर हम लगातार काम करते रहेंगे।

नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक नीतिगत मामलों में निरंतरता और स्थिरता बनाए रखेगा, लेकिन उन्होंने मौजूदा वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक माहौल को देखते हुए “सतर्क और चुस्त” बने रहने की जरूरत है। इससे पहले दिन में उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने शक्तिकांत दास का स्थान लिया जो छह वर्षों के बाद पद से हटे हैं।

गवर्नर के रूप में मीडिया के साथ अपने पहले संवाद में मल्होत्रा ने कहा, “हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि हम निरंतरता और स्थिरता बनाए रखें, हम इससे चिपके नहीं रह सकते और हमें चुनौतियों का सामना करने के लिए सतर्क और तत्पर रहना होगा।” अपने संक्षिप्त वक्तव्य में मल्होत्रा ने इस बात पर भी जोर दिया कि केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक की विरासत को जारी रखने के लिए वित्तीय नियामकों, राज्य सरकारों और केंद्र सहित सभी क्षेत्रों के साथ बातचीत जारी रखेगा।

उन्होंने कहा, “हमारे पास समस्त ज्ञान पर एकाधिकार नहीं है।” उन्होंने अन्य हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के महत्व पर बल दिया। पूर्व राजस्व सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि आरबीआई वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग करेगा।

मल्होत्रा ने यूपीआई की सफलता की तारीफ करते हुए कहा कि यूपीआई ने घरेलू बाजार में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कमाल का प्रदर्शन किया है। टेक्नोलॉजी जो कि अब सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है उस ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीते सालों में आरबीआई ने सराहनीय कार्य किए हैं। हम आरबीआई की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए फाइनेंशियल इन्क्लूजन को जारी रखेगें।

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