धनतेरस आज, शुभ योग में खरीदारी का मुहूर्त, जानिए महत्व और पूजा विधि
धनतेरस का त्योहार 5 दिनों तक चलने वाले दिवाली का पहला दिन होता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के ही दिन भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य माने जाने वाले भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। दिवाली पर पांच दिनों तक चलने वाले पर्व में सबसे पहले धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस को साल भर में पड़ने वाले सभी श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। धनतेरस पर शुभ कार्य करने और शुभ खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस पर सोने -चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा होती है। इसके अलावा धनतेरस पर कार, बाइक, जमीन-जायदाद और कपड़े की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं धनतेरस की तिथि, महत्व और शुभ खरीदारी करने का मुहूर्त के बारे में विस्तार से…
धनतेरस 2023 शुभ तिथि
वैदिक पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से आरंभ हो जाएगी। इस त्रयोदशी तिथि का समापन 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर धनतेरस का पर्व 10 नवंबर, शुक्रवार को प्रदोषकाल में मनाया जाएगा।
धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
धनतेरस का त्योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है। यह 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला दिन होता है। धनतेरस पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान होता है। धनतेरस पर यम देवता की पूजा और घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट प्रारंभ हो जाएगा जो शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस प्रदोष काल और वृषभ काल का मुहूर्त
धनतेरस पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग की गणना के मुताबिक 10 नवंबर को शाम 05 बजकर 30 मिनट से प्रदोष काल आरंभ हो जाता है। आपको बता दें कि सूर्यास्त होने के बाद समय प्रदोष काल कहलाया जाता है। 10 नवंबर को प्रदोष काल रात 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ काल की बात करें तो शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस 2023 पर दुर्लभ संयोग
इस बार धनतेरस पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है जिस कारण से धनतेरस का त्योहार काफी खास हो जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक धनतेरस पर चंद्रमा कन्या राशि में होंगे जहां पर पहले से सुख, समृद्धि और भौतिक सुख प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र देव विराजमान है। इस तरह से धनतेरस पर कलात्मक नाम का योग बन रहा है। इसके अलावा 10 नवंबर को धनतेरस पर शुभकर्तरी, वरिष्ठ, सरल, सुमुख और अमृत योग बन रहा है। ऐसे में धनतेरस पर खरीदारी करना बहुत ही शुभ रहेगा।