BJP से नहीं मिला टिकट, भैरों सिंह शेखावत के दामाद की बगावत – ‘पूर्व VP की विरासत को बदनाम करने की रणनीति’
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस सोमवार को राजस्थान चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की, जिसके तुरंत बाद, कम से कम एक दर्जन सीटों पर विरोध प्रदर्शन, नारेबाजी और नाराज़गी सामने आईं – सबसे जोरदार आवाज़ तीन बार के विधायक नरपत सिंह राजवी की थी, जिनकी जगह विद्याधर नगर में सांसद दीया कुमारी ने ली है.
बता दें कि राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद हैं.
विद्याधर नगर विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “यह भैरों सिंह शेखावत की विरासत को बदनाम करने की रणनीति है. यह चौंकाने वाली बात है कि मेरे यहां से मौजूदा विधायक होने के बावजूद पार्टी ने उम्मीदवार को बदल दिया है…मैं आहत हूं और आने वाले दिनों में अपनी भविष्य की रणनीति तय करूंगा.”
बीजेपी की पहली लिस्ट में घोषित 41 सीटों में से विद्याधर नगर ही पार्टी के पास थी. जिन सीटों पर उम्मीदवारों की पसंद को लेकर हंगामा हुआ, उनमें विद्याधर नगर, झोटवाड़ा, किशनगढ़, नगर, टोंक, सांचौर और कोटपूतली प्रमुख हैं, जिनमें से कुछ उम्मीदवारों का दावा है कि वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे से उनकी निकटता के कारण उन्हें टिकट की कीमत चुकानी पड़ी.
पार्टी ने कुल मिलाकर सात सांसदों को पहली सूची में शामिल किया है. पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विद्रोह को भांपते हुए बीजेपी ने असंतुष्ट नेताओं को शांत करने और उन्हें पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने से रोकने के लिए मंगलवार को बाड़मेर के सांसद और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राज्य प्रभारी प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को राजवी से मुलाकात की, जबकि कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राजपाल सिंह शेखावत से मुलाकात की, जिन्हें झोटवाड़ा से टिकट नहीं दिया गया था.
राजस्थान बीजेपी महासचिव भजनलाल शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “पार्टी नेताओं को स्वतंत्र रूप से लड़ने से रोकने की कोशिश कर रही है क्योंकि इससे हमारी संभावनाएं कमज़ोर हो जाएंगी…सांसदों की उम्मीदवारी के खिलाफ विरोध की खबरें आई हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हर कोई पार्टी के लिए काम करेगा. पार्टी ने केवल सर्वे और फीडबैक रिपोर्ट के आधार पर टिकट दिए हैं.”
चुनाव आयोग (ईसी) के कार्यक्रम के अनुसार, राजस्थान में 200 सीटों के लिए 25 नवंबर को वोटिंग होगी और नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.
ज्यादा सीटों पर बगावत?
पार्टी ने झोटवाड़ा से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है. 2018 में वसुंधरा राजे के विश्वासपात्र राजपाल सिंह शेखावत ने यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे. झोटवाड़ा राठौड़ के संसदीय क्षेत्र जयपुर ग्रामीण के अंतर्गत आता है.
शेखावत ने इस घटनाक्रम के विरोध में मंगलवार को अपने समर्थकों के साथ जयपुर में राजे से मुलाकात की. समर्थकों ने जयपुर में पार्टी के राज्य कार्यालय में राठौड़ के खिलाफ नारे लगाए, जैसा कि मीडिया में बताया गया था.
शेखावत ने दिप्रिंट से कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा कि पार्टी ने मुझे क्यों दरकिनार किया है. मैं 1990 से कई बार विधायक रहा हूं. राठौड़ जूनियर हैं. एक अखबार के हालिया सर्वे के अनुसार, मेरे निर्वाचन क्षेत्र के 62 प्रतिशत लोग मेरी उम्मीदवारी चाहते थे…मुझे नहीं पता कि भाजपा ने किस सर्वे का इस्तेमाल किया है.”