मंदी में भी भारत की अर्थव्यवस्था अपने चरम सीमा पर,जर्मनी को भी कर सकती है पार भारत की अर्थव्यवस्था…
पिछले कुछ वर्षों में भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति बनकर उभरा है और इस उपलब्धि को साकार करने में देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा योगदान है। भारत हाल ही में फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
मौजूदा हालात यह संकेत दे रहे हैं कि यह साल भारत के लिए अर्थव्यवस्था के लिहाज से नई उपलब्धियों वाला साल साबित हो सकता है।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ
अगर हम दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो वर्तमान में अमेरिका पहले नंबर पर आता है। अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर चीन है जो एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है. जापान तीसरे स्थान पर है, जबकि जर्मनी चौथे स्थान पर है, जो यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। इन शीर्ष चार देशों के बाद भारत का नंबर आता है, जो वर्तमान में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में चौथे स्थान पर है।
अभी यही तुलनात्मक स्थिति है
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान पर नजर डालें तो साल 2023 में जर्मनी की अर्थव्यवस्था 4,031 अरब डॉलर के आकार के साथ चौथे स्थान पर होगी, जबकि पांचवें स्थान पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3,750 अरब डॉलर है. आईएमएफ के इस अनुमान के बाद आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है. जर्मनी के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं तो भारत के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो गई हैं.
मंदी की मार और पड़ेगी
यूरोपीय आयोग ने इस सप्ताह यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के संबंध में अपना नवीनतम अनुमान जारी किया है। इस अनुमान के मुताबिक यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी के लिए साल 2023 आशंका से भी बदतर साबित हो सकता है. पहले यह अनुमान लगाया गया था कि 2023 में जर्मनी की अर्थव्यवस्था का आकार 0.20 प्रतिशत घट जाएगा। हालांकि, अब यूरोपीय आयोग को 2023 में जर्मन अर्थव्यवस्था में 0.40 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है।
जर्मनी बना यूरोप का नया मरीज!
दरअसल, जर्मनी की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है. जर्मनी इस वर्ष मंदी में आने वाली एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था है। इस यूरोपीय देश में उपभोक्ता मांग निम्न स्तर पर है और खपत बहुत कमजोर है। निर्माण गतिविधियाँ मंदी से प्रभावित हुई हैं। ये सभी कारक जर्मनी की अर्थव्यवस्था को नीचे की ओर खींच रहे हैं. इन कारकों ने जर्मनी को यूरोप के नए मरीज का खिताब दिला दिया है.
ऐसी ही हालत है भारत की अर्थव्यवस्था की
वहीं, अगर भारत की बात करें तो चालू वित्त वर्ष की शुरुआत अच्छी रही है। वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2023 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 फीसदी की दर से बढ़ी. भारत के आधिकारिक जीडीपी आंकड़े कई पूर्वानुमानों से बेहतर रहे. पिछले कुछ महीनों के दौरान आईएमएफ, एडीबी और फिच जैसी संस्थाओं ने भारत की जीडीपी विकास दर का अनुमान बढ़ाया है. भारत लंबे समय से सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है और यही कारण है कि आईएमएफ जैसे संगठनों ने भारत को वैश्विक विकास का इंजन बताया है।