हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए नौ महीनों तक फॉलो करें आयुर्वेद में बताई ये डाइट
प्रेग्नेंसी का फेज किसी भी महिला के लिए जितना खास होता है, उतना ही नाजुक भी होता है. इस दौरान खान-पान का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है. प्रेग्नेंसी में कब क्या खाना सही रहता है, आयुर्वेद में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.
आयुर्वेद में बताए गए सुझावों पर अगर अमल किया जाए तो एक हेल्दी प्रेग्नेंसी सुनिश्चित की जा सकती है. गर्भावस्था के दौरान मां के पेट में जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, वैसे ही महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं और खान-पान व पोषण की जरूरतें भी अलग हो जाती हैं. एक हेल्दी मां और बच्चे के लिए आयुर्वेद में प्रेग्नेंसी के महीनों के हिसाब से आहार लेने की सलाह दी जाती है.
आयुर्वेद में अच्छी सेहत के लिए हमेशा से ही पोषण युक्त आहार लेने की बात कही गई है. वहीं गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने साथ गर्भ में पल रहे शिशु के पोषण के लिए भी पोषक तत्वों से भरपूर खाने की जरूरत होती है. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महीने के हिसाब से आयुर्वेद में बताई गई डाइट को फॉलो किया जाए तो न सिर्फ प्रेग्नेंसी हेल्दी रहती है, बल्कि बच्चे को भी सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं. दिल्ली में आयुर्वेद की डॉ. चंचल शर्मा से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कब क्या खाना चाहिए?
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में कैसा होना चाहिए आहार
आयुर्वेद में वात कफ और पित्त को ध्यान में रखते हुए खानपान के सुझाव दिए गए हैं. गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में वात को संतुलित करना जरूरी होता है. प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में महिलाओं को हल्के तेल वाले फूड्स जैसे सूप, भुनी हुई सब्जियां आदि खानी चाहिए. इसके अलावा दही और घी जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स को अपनी डाइट में शामिल करें. स्नैक्स में ओट्स के लड्डू, आंवला मुरब्बा और ब्राह्मी, शंखपुष्पी जैसी हर्ब्स लेनी चाहिए. इससे शरीर को ताकत मिलती है.
दूसरी तिमाही में क्या खाना रहता है सही
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में पित्त दोष यानी अग्नि तत्व को संतुलित करने की जरूरत होती है. पित्त को शांत करने के लिए इस दौरान शरीर को ठंडक देने वाले पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स जैसे नारियल पानी, दूध, तरबूज, खीरा, खाने आदि चाहिए. इससे मूड स्विंग जैसी समस्याओं को दूर करने में भी मदद मिलती है. वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान यह सुनिश्चित करें कि ज्यादा तले हुए खाने से बचें, ताकि पाचन को दुरुस्त रखा जा सके.
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में कैसी होनी चाहिए डाइट
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही यानी सातवें से लेकर नौवें महीने तक का समय काफी उतार-चढ़ाव भरा रहता है. इस दौरान महिलाओं में शारीरिक के साथ मानसिक बदलाव भी तेजी से होते हैं. आयुर्वेद कहता है कि इस फेज में प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी कफ ऊर्जा को संतुलित करना आवश्यक होता है, ताकि एक हेल्दी डिलीवरी हो सके. तीसरी तिमाही में महिलाओं को गर्म और सूखे खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, सब्जियां, फलियां, मसाले और कुछ जड़ी-बूटियों को डाइट में शामिल करना चाहिए. इससे मां और बच्चे दोनों को हेल्दी रहने के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं.