विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे मॉरीशस, कहा- भारत कभी साथ नहीं छोड़ेगा
भारत-मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए मंगलवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे। यहां उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत प्रगति और समृद्धि के लिए मॉरीशस का लगातार समर्थन करेगा। उसका साथ कभी नहीं छोड़ेगा। इससे पहले मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीश गोबिन ने उनका हवाई अड्डे पर स्वागत किया।
यहां एक कार्यक्रम में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 12 विकास परियोजनाओं, शिक्षा, संस्कृति और अभिलेखागार के डिजिटलीकरण के उद्घाटन के साथ विभिन्न एमओयू साइन किए। इसके अलावा उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड भी सौंपे। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत के मॉरीशस के साथ मजबूत संबंध हैं। मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय संबंध विदेश में भारत के विकास और सहयोग के लिए आदर्श हैं।
वहीं मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन ने पोस्ट किया कि मॉरीशस को लगातार समर्थन देने और चागोस द्वीप को लेकर उपनिवेशवाद, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता को लेकर पहल करने पर भारत और डॉ. एस जयशंकर के प्रति कृतज्ञता जताते हैं। उन्होंने लिखा कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है। भारत और एस जयशंकर के हमारे प्रति समर्थन और प्रतिबद्धता जताने पर आभार।
इससे पहले मॉरीशस पहुंचने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर फोटो के साथ पोस्ट किया ‘नमस्ते मॉरीशस! स्वागत के लिए विदेश मंत्री मनीश गोबिन का धन्यवाद।’ वहीं गोबिन ने उनकी पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा कि जयशंकर की यात्रा दो देशों के बीच मजबूत और स्थायी संबंध को दर्शाती है। दोनों देश मिलकर अपने संबंध को मजबूत करने और सहयोग के बेहतर रास्ते तलाशेंगे।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के मध्य विभिन्न पहलुओं को जानने और संबंधों को बरकरार रखने का मौका है। यात्रा बहुआयामी द्विपक्षीय संबंध और लोगों के साथ संबंध गहरा करने पर जोर देगी। बता दें कि हाल ही में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के बाद पहली बार मॉरीशस गए हैं। इससे पहले वह फरवरी 2021 में मॉरीशस गए थे।
भारत ने हमेशा की है मॉरीशस की मदद
भारत-मॉरीशस के बीच हमेशा से संबंध मजबूत रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि मॉरीशस की कुल जनसंख्या 1.2 मिलियन में 70 फीसदी भारतीय मूल के लोग हैं। जबकि 28 फीसदी लोग क्रियोल और तीन फीसदी लोग चीन मॉरीशियन और एक फीसदी लोग फ्रैंको मॉरीशियन हैं। भारत ने हमेशा से संकट के समय मॉरीशस की सबसे पहले सहायता की है। कोविड-19 और तेल रिसाव संकट के दौरान भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा मददगार रहा था। अप्रैल-मई 2020 में महामारी से निपटने के लिए मॉरीशस सरकार के अनुरोध पर भारत ने 13 टन दवाओं, 10 टन आयुर्वेदिक दवाओं और एक भारतीय रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीम मॉरीशस भेजी थी।