‘हर मामले की जांच सीबीआई को सौंपना सही नहीं’, अदालत ने खारिज किया हाईकोर्ट का आदेश

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एक मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मामले में ऐसे आदेश देना सही नहीं है। अदालत का यह फैसला हाईकोर्ट के मई 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर आया है।
जस्टिस सुधांशु धूनिया और के विनोद चंद्रन की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों को केवल उन मामलों में सीबीआई जांच के आदेश देना चाहिए, जिनमें प्रथम दृष्टया जरूरी लगे। पीठ ने कहा, ‘उच्च न्यायालयों को केवल उन मामलों में सीबीआई जांच के लिए निर्देश देना चाहिए, जहां सामग्री प्रथम दृष्टया सीबीआई द्वारा जांच की मांग करती हो। सीबीआई जांच नियमित तरीके से या कुछ अस्पष्ट आरोपों के आधार पर नहीं की जानी चाहिए।’ शीर्ष अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर-मगर के आधार पर सीबीआई जैसी एजेंसी को जांच करने का आदेश देना सही नहीं है।
ये था मामला
फार्मास्युटिकल का व्यवसाय करने वाले एक कारोबारी ने अक्तूबर 2022 में पंचकूला में एक एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने खुफिया ब्यूरो का महानिरीक्षक (आईजी) बता उसे धमकी दी और 1.49 करोड़ रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। कारोबारी ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसे और उसके सहयोगियों को अपने साथ काम करने के लिए मजबूर किया और पैसों की जबरन वसूली की। शिकायतकर्ता ने राज्य पुलिस से जांच को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने कारोबारी की याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। इसके बाद, आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
शिकायतकर्ता के आरोप अस्पष्ट और बेबुनियाद
अपने 2 अप्रैल के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका में ‘अस्पष्ट और बेबुनियाद’ आरोप लगाए गए थे। पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में बताया कि पुलिस अधिकारी अपीलकर्ता से परिचित थे और वे भी मामले में शामिल हो सकते हैं। पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता के ये दावे बिल्कुल भी पुष्ट नहीं हैं।