मानवाधिकार आयोग हुआ सख्त, पीड़ित परिवार को साढ़े सात लाख देने की सिफारिश

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में कुत्तों के हमले में बुजुर्ग सेवानिवृत्त डॉक्टर की मौत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही पर टिप्पणी की है। साथ में पीड़ित परिवार को साढ़े सात लाख रुपये मुआवजे की संस्तुति कर आठ सप्ताह में अनुपालन आख्या मांगी है।

यह घटना पिछले वर्ष 16 अप्रैल की सुबह हुई थी। तब मेडिकल रोड निवासी यूनीसेफ से सेवानिवृत्त डॉक्टर सफदर अली खान (65) टहलने गए थे। इसी दौरान एएमयू कैंपस में कुत्तों के झुंड ने उन्हें घेर लिया और नोच-नोचकर मौत के घाट उतार दिया। घटनाक्रम का सीसीटीवी फुटेज भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उसके कुछ दिन बाद ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रकरण में स्वत: संज्ञान लेकर घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। साथ में प्रदेश के मुख्य सचिव, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति और अलीगढ़ नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। राज्य सरकार से यह सूचित करने की अपेक्षा की गई थी कि क्या मृतक के निकटतम संबंधी को कोई राहत दी गई है या नहीं।

इसके जवाब में संबंधित अधिकारियों ने एएमयू के रजिस्ट्रार का एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि आयोग के नोटिस में ऐसा कोई निर्देश नहीं है, जिसका विश्वविद्यालय को पालन करना चाहिए। विश्वविद्यालय की ओर से मानव अधिकारों के उल्लंघन या मानव अधिकारों के उल्लंघन की रोकथाम में लापरवाही का कोई कार्य नहीं है। अब आयोग ने जारी बयान में कहा है कि संबंधित अधिकारी स्पष्ट रूप से इस मामले में अपनी जिम्मेदारी टाल रहे थे। इसलिए, यह देखा गया कि लोक सेवक द्वारा लापरवाही और उकसावे के कार्य के कारण प्राधिकरण द्वारा मानव अधिकारों के उल्लंघन के पीड़ितों को आयोग की सिफारिश से भुगतान किए जाने वाले लाभों से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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