‘मुझे अपने बयान पर कोई पछतावा नहीं…’, हफ्ते में 70 घंटे काम के मुद्दे पर बोले नारायण मूर्ति
बीते कुछ महीनों में देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) खासी चर्चा में रहे हैं. दरअसल, उन्होंने हफ्ते में 70 घंटे काम (70 Hours Work A Week) करने की सलाह दी थी, जो बहस का मुद्दा बन गया और किसी ने इंफोसिस को-फाउंडर के बयान के पक्ष में अपनी राय पेश की, तो वहीं कुछ ने इसे नकार दिया. अब इस चर्चित मामले में नारायण मूर्ति ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उन्हें अपने बयान पर किसी तरह का कोई पछतावा नहीं है.
‘हमें ज्यादा प्रोडक्टिव होने की जरूरत’
Infosys को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति ने आजतक के सहयोगी चैनल इंडिया टुडे पर राजदीप सरदेसाई के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान कहा कि मुझे अपने पिछले दिए गए बयान पर कोई पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि 70 घंटे महत्वपूर्ण थे, मेरे बयान में इसका मतलब यह है कि आपको बहुत उत्पादक होना होगा. इसके साथ ही नारायण मूर्ति ने कहा कि जिन लोगों को सरकारी लाभ मिला है, उन्हें समाज की भलाई के लिए और भी अधिक मेहनत करनी चाहिए.
इंफोसिस को-फाउंडर ने दिया उदाहरण
हफ्ते में 70 घंटे वाले अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए नारायण मूर्ति ने कहा है कि मैं रिटायर होने से पहले हर सप्ताह 85-90 घंटे काम करता था. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि मुझे 1961 में प्री-यूनिवर्सिटी से ही छात्रवृत्ति मिलती थी. इंजीनियरिंग कॉलेज के मेरे सभी दोस्तों को उनकी फीस के मामले में सरकार से बड़ी रियायत दी जाती थी. इसलिए मेरा ये विचार हमेशा से रहा है कि भारत में हममें से जिन लोगों ने देश से और यहां के टैक्सपेयर्स से इतना लाभ प्राप्त किया है, उन पर गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने का मौका लाने में अधिक योगदान देने की जिम्मेदारी है.
सुधा मूर्ति बोलीं- अपने काम का आनंद लें
इंटरव्यू के दौरान जब नारायण मूर्ति से उनके दिए 70 घंटे वाले बयान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मैं बिल्कुल अपने बयान पर कायम हूं, लेकिन इसके साथ ही इंफोसिस को-फाउंडर ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि मेरे बयान में 70 घंटे महत्वपूर्ण थे. इसका मतलब यह है कि आपको बहुत उत्पादक होना होगा, आपको बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी, जैसे कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनों ने किया था, जैसे जापानियों ने किया था.
नायारण मूर्ति के बयान पर उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने कहा कि कम से कम हम दोनों के लिए काम करना हमेशा एक आनंद रहा. मैं भी इस उम्र में भी 70 घंटे से अधिक काम करती हूं. सुधा मूर्ति ने कहा कि इस मामले में मेरी परिभाषा है, ‘आपको अपने काम का आनंद लेना चाहिए, आपको अपने काम के प्रति जुनूनी होना चाहिए और फिर काम छुट्टी है.’
क्या था 70 घंटे काम वाला बयान?
बीते साल अक्टूबर 2023 में एक पॉडकास्ट पर इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने कहा था कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है और चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीय युवाओं को एक्स्ट्रा घंटे काम करना होगा. उन्होंने कहा था कि देश के युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे तक काम करना चाहिए. जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने ऐसा किया था. इस बयान के बाद ग्लोबल बहस छिड़ गई थी और नारायण मूर्ति को आलोचना का सामना करना पड़ा था.