निजी नियोक्ता नियुक्ति पत्र में बताएं कहां होगा विवादों का निपटारा, सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

निजी नियोक्ता कर्मचारी के नियुक्ति पत्र में यह प्रावधान शामिल कर सकते हैं कि रोजगार संबंधी किसी भी विवाद का समाधान किस विशेष अदालत या क्षेत्राधिकार में किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि अनुबंध एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है, चाहे इसमें शामिल पक्ष या उनकी ताकत कुछ भी हो। अदालत ने कहा, “कानूनी तरीके से विवादों को सुलझाने का अधिकार किसी भी पक्ष की ओर से अनुबंध के माध्यम से नहीं छीना जा सकता है, बल्कि पक्षों की सुविधा के लिए इसे कुछ न्यायालयों को सौंपा जा सकता है।”
न्यायालय ने कहा कि वर्तमान विवाद में यह धारा कर्मचारी से कानूनी दावा करने के अधिकार को नहीं छीनती, बल्कि उन्हें केवल मुम्बई की अदालतों में ही दावा करने तक सीमित कर देती है। सर्वोच्च न्यायालय पटना में नियुक्त एचडीएफसी बैंक और दिल्ली में नियुक्त लॉर्ड कृष्णा बैंक के दो कर्मचारियों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रहा था।
दोनों मामलों में बैंकों ने अपने नियुक्ति पत्रों में उल्लेख किया था कि पक्षों के बीच कोई भी विवाद जिसके कारण कानूनी कार्रवाई की नौबत आती है, उसका समाधान मुम्बई स्थित सक्षम न्यायालय में किया जाना चाहिए। जब धोखाधड़ी और कदाचार के आरोपों के कारण दोनों कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, तो उन्होंने पटना और दिल्ली की संबंधित अदालतों में अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी।
इन स्थानों के उच्च न्यायालयों ने यह निर्णय दिया कि कर्मचारी अपनी सेवा समाप्ति को उस न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं जहां वे सेवा समाप्ति से पहले तैनात थे। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक सेवा और निजी नियोक्ता के साथ सेवा अनुबंध के बीच बहुत अंतर है।