रजिस्ट्री कार्यालय में फर्जीवाड़ा…40 साल की जिल्दों में छिपा राज, जांच में फंस सकती है कई की गर्दन

आगरा:  आगरा में रजिस्ट्री दफ्तर के रिकाॅर्ड रूम पर ताला लटक सकता है। जिन आठ बैनामों के फर्जी होने का शक है, उनकी नकल एसआईटी को मिल गई है। छेड़छाड़, कूटरचना व कागज की अदला-बदली की जांच के लिए इन बैनामों की जिल्द सील होंगी। रिकाॅर्ड को फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा।

सदर तहसील में निबंधन भवन है। जहां पांच रजिस्ट्री दफ्तर हैं। इनके केंद्रीय अभिलेखागार में रिकाॅर्ड से छेड़छाड़ हो गई। जिल्द से पन्ने फट गए। मूल बैनामे को बदलकर नकली दस्तावेज चस्पा हो गए। आठ बैनामों में शिकायत के आधार पर एसआईटी जांच शुरू है। शुक्रवार को एसआईटी ने दो घंटे तक रजिस्ट्री दफ्तर में रिकाॅर्ड खंगाला था। उन्होंने सभी आठ बैनामों से संबंधित दस्तावेज की नकल प्राप्त कर ली है। इन बैनामों की जिल्द भी सील होंगी।

इनके अलावा रिकाॅर्ड रूम में 10 हजार से अधिक जिल्द हैं। जिनमें 1972 से लेकर 2012 तक 150 से अधिक जिल्दों में 300 से अधिक पन्ने फटे हो सकते हैं। जांच का दायरा बढ़ने पर फटी जिल्दों की जांच होगी। जिसके बाद ऐसे नाम भी सामने आ सकते हैं जो अभी छिपे हुए हैं।

40 साल की जिल्दों में साजिश के राज
एक तरफ एसआईटी आठ फर्जी बैनामों की जांच के लिए रिकाॅर्ड जुटा रही है। दूसरी तरफ 1972 से लेकर 2012 तक 40 साल की जिल्द बही में पन्ने फटे हुए हैं। फटे हुए पन्नों में गहरी साजिश का राज है। 1972 से 2012 तक जिल्द बही का ऑडिट हो जाए तो 300 से अधिक फर्जी बैनामों की कलई खुल सकती है। 40 साल में हुए बैनामों में फर्जीवाड़े की जांच के लिए एसआईटी इंडेक्स, स्याहा से लेकर रजिस्टर तक जब्त कर सकती है।

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