भारत को FY30 तक 6.5% की औसत वृद्धि बनाए रखने के लिए एक करोड़ नई नौकरियां चाहिए, रिपोर्ट में दावा
भारत को सालाना 6.5 प्रतिशत की औसत जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) वृद्धि बनाए रखने के लिए वित्त वर्ष 25 से वित्त वर्ष 30 तक हर साल लगभग 10 मिलियन नई नौकरियों की आवश्यकता होगी। गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
टियर 2 और टियर 3 शेयरों में आईटी हब स्थापित करने से मिलेगी मदद
रिपोर्ट के अनुसार किफायती आवास विकास को प्रोत्साहित करने से रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा मिल सकता है, यह निर्माण के क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक श्रम बल को रोजगार देता है। इसके अलावे, यह विभिन्न कौशल स्तरों में रोजगार सृजन को महत्वपूर्ण बढ़ावा भी देगा। टियर-2 और टियर-3 शहरों में आईटी हब और छोटे शहरों में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) स्थापित करने से टियर-1 शहरी केंद्रों पर दबाव कम होगा और कम सेवा वाले क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और फर्नीचर उद्योगों पर ध्यान देने की जरूरत
कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और फर्नीचर जैसे श्रम-गहन विनिर्माण क्षेत्रों की ओर राजकोषीय प्रोत्साहनों को स्थानांतरित करना निम्न से मध्यम कौशल वाले श्रमिकों के लिए रोजगार सृजन का समर्थन कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने मुख्य रूप से पूंजी-गहन उद्योगों को लाभान्वित किया है। गोल्डमैन सैक्स ने कपड़ा, जूते, खिलौने और चमड़े के सामान सहित अधिक श्रम-गहन क्षेत्रों में एक उत्साहजनक बदलाव की बात कही है।
पिछले दो दशकों में भारत में लगभग 19.6 करोड़ नौकरियां सृजित हुईं
पिछले दो दशकों में, भारत में लगभग 19.6 करोड़ नौकरियां सृजित हुईं, इनमें से से दो-तिहाई पद पिछले दशक में सृजित हुए। इस दौरान, महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं क्योंकि अधिक श्रमिकों ने कृषि से निर्माण और सर्विस सेक्टर की ओर रुख किया। रिपोर्ट के अनुसार निर्माण क्षेत्र में कुल नौकरियों का लगभग 13 प्रतिशत है। इससे रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे में निवेश से नौकरियों को बढ़ावा मिला है। खुदरा व्यापार को डिजिटल परिवर्तन से लाभ हुआ है, खुदरा विक्रेता ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर चले गए हैं, जिससे इन्वेंट्री प्रबंधन, पैकेजिंग और डिलीवरी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में नई भूमिकाएं पैदा हुई हैं।