कपड़ा उद्योग के लिए भारत का रुख कर सकते हैं अंतरराष्ट्रीय खरीदार, बदल सकती है व्यापार की सूरत
बांग्लादेश का मौजूदा सियासी संकट भारत के कपड़ा उद्योग के लिए फिर से उभरने का अवसर बन सकता है। कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि बांग्लादेश के निर्यात में कपड़ा क्षेत्र की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। पड़ोसी देश में हिंसा की वजह से यह कारोबार महीनों से प्रभावित हो रहा है, लेकिन अब इसका सीधा फायदा भारत को मिलेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारत जैसे वैकल्पिक बाजार की ओर अपना रुख कर सकते हैं।
दरअसल, बांग्लादेश हर महीने 3.5 से 3.8 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है। इसमें यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन के बाजारों की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा है। दूसरी ओर, भारत हर महीने करीब 1.3 से 1.5 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात कर रहा है। उद्योग संस्था इंडियन टेक्सप्रेन्योर फेडरेशन के सचिव प्रभु दामोदरन ने कहा, बांग्लादेश में हालात जटिल होने से अंतरराष्ट्रीय खरीदार कुछ ऑर्डर भारत और अन्य देशों को दे सकते हैं। अगर बांग्लादेश के निर्यात का 10-11 फीसदी हिस्सा भी तमिलनाडु के तिरुपुर जैसे भारतीय केंद्रों पर हस्तांतरित होता है तो भारत को हर महीने 30 से 40 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कारोबार मिलने की उम्मीद है।
कारखाने भी भारत में हो सकते हैं शिफ्ट
बांग्लादेश में भारतीयों के मालिकाना हक वाले कई कारखाने हैं। अगर संकट अधिक गहराता है, तो ये कारखाने भारत में शिफ्ट हो सकते हैं। कारोबार नीति विश्लेषक एस. चंद्रशेखरन का कहना है कि बांग्लादेश में करीब 25 फीसदी कारखानों के मालिक भारतीय हैं। इनमें शाही एक्सपोर्ट्स, हाउस ऑफ पर्ल फैशन्स, जय जय मिल्स, टीसीएनएस, गोकलदास इमेजेज और अंबत्तूर क्लोदिंग जैसी कंपनियां शामिल हैं।
आपूर्ति बाधित होने का मिलेगा लाभ
चंद्रशेखरन ने कहा, बांग्लादेश में उथल-पुथल से माल की आवाजाही भी अटकी हुई है। क्रिसमस सीजन के लिए अमेरिका और यूरोपीय बाजारों से बड़े ऑर्डर बांग्लादेश के पास हैं, जिनकी आपूर्ति बाधित होने की आशंका है। भारत को इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि अब वे ऑर्डर इधर मिलने लगेंगे।