‘हार्दिक पांड्या के MI में जाने से IPL को अच्छी मिसाल नहीं मिली, रविंद्र जडेजा को तो बैन कर दिया था’
रविवार 27 नवंबर को भारतीय ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या के मुंबई इंडियंस में वापस लौटने का ऐलान हुआ। उनको 15 करोड़ रुपये की रकम में मुंबई इंडियंस ने गुजरात टाइटन्स से ट्रेड में लिया है। गुजरात टाइटन्स को एक बार बतौर कप्तान चैंपियन बनाने वाले और दूसरे सीजन में फाइनल तक पहुंचाने वाले हार्दिक पांड्या की मुंबई में वापसी से हर कोई हैरान है। मुंबई इंडियंस के फैंस खुश हैं, जबकि रविचंद्रन अश्विन ने कहा है कि एमआई ने सोना जीत लिया। वहीं, कोलकाता नाइट राइडर्स के एक पूर्व निदेशक ने 2010 में रविंद्र जड़ेजा के केस को याद किया और इस फैसले की आलोचना की।
13 साल पहले रविंद्र जडेजा को पूरे सीजन के लिए आईपीएल से बैन कर दिया था, क्योंकि उन्होंने मुंबई इंडियंस के साथ एक समझौते पर बातचीत करने का प्रयास करते समय राजस्थान रॉयल्स के साथ अपने रिनुअल कॉन्ट्रैक्ट को साइन नहीं किया था। यह काम टूर्नामेंट के ट्रेडिंग और ऑपरेशनल रूल्स के खिलाफ बताया गया था और इस पर आईपीएल के आयाजकों ने ऐक्शन लिया था और उन्हें एक सीजन के लिए बैन कर दिया था। इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ, जब टीमों ने रिटेंशन के नाम फाइनल किए तो उसमे हार्दिक पांड्या का नाम गुजरात टाइटन्स के लिस्ट में था, लेकिन कुछ घंटे बाद वे MI का हिस्सा बन गए।
आईपीएल 2024 के रिटेंशन पर ओकट्री स्पोर्ट्स के यूट्यूब शो पर बोलते हुए केकेआर के पूर्व निदेशक जॉय भट्टाचार्य ने हार्दिक पांड्या के इस मूव को लीग के लिए एक बुरी मिसाल माना और उसी जडेजा घटना की याद दिलाई। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें डर है कि यह जल्द ही आईपीएल में एक चलन बन सकता है। ऐसे में फ्रेंचाइजियों को ऐसा करना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह टूर्नामेंट के लिए बहुत अच्छा विचार है, क्योंकि 2010 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। रविंद्र जडेजा ने एक सीजन नहीं खेला था, क्योंकि वह आगे बढ़ना चाहते थे और फ्रेंचाइजी ने उन्हें साइन कर लिया था। उन्होंने कहा था कि वह अब राजस्थान रॉयल्स के लिए नहीं खेलना चाहते हैं और इसलिए उन पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया गया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि आप सिस्टम को नहीं तोड़ सकते।”
भट्टाचार्य ने आगे कहा, “अगर कोई खिलाड़ी अचानक कहे कि मुझे नीलामी से ले लो, लेकिन मैं तुम्हारे लिए नहीं खेलना चाहता…और एक बार जब आप इस ट्रेंड को प्रोत्साहित करना शुरू कर देंगे तो उस रास्ते पर जाना अच्छा विचार नहीं होगा। इसीलिए 2010 में इसे रोक दिया गया था, लेकिन 2023 में आपने एक बड़े खिलाड़ी के साथ ऐसा होने दिया। इसकी सच्चाई यह है कि एक बार जब आप इसकी अनुमति देना शुरू कर देंगे, तो खिलाड़ियों को एहसास होगा कि अगर वे इतना हंगामा कर सकते हैं, तो फ्रेंचाइजी उन्हें छोड़ देगी… मुझे नहीं लगता कि यह लीग के लिए एक अच्छी मिसाल है।”
जॉय भट्टाचार्य ने यह भी माना कि गुजरात के पास हार्दिक को मुंबई वापस जाने की अनुमति देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था, क्योंकि यह पता चला था कि खिलाड़ी भी यही चाहता था। उनका कहना है, “गुजरात के पास दो विकल्प थे। वे उसे जाने की अनुमति दे सकते थे, ट्रेड से कुछ पैसे कमा सकते थे और फ्रेंचाइजी के लिए कुछ पैसे प्राप्त कर सकते थे, जो एक और बड़े नाम वाले खिलाड़ी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त था। दूसरा विकल्प यह है कि हार्दिक कहें कि वह जाना चाहते हैं, मुझे उनसे औसत प्रदर्शन का एक सीजन मिलेगा। फिर वह चला जाएगा और मुझे इससे कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए परिस्थितियों को देखते हुए गुजरात कोई अन्य विकल्प नहीं चुन सकता था।”