इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को लेकर नेताजी के परिवार को आपत्ति, कहा ऐसा…
सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने नई दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा उनके व्यक्तित्व की भव्यता को दर्शाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी प्रतिमा 21 अक्टूबर 1943 को “संयुक्त स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार की घोषणा” पढ़ने की मुद्रा में होनी चाहिए।
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेताजी के परिजन चंद्र कुमार बोस ने कहा कि 1943 में नेताजी की उद्घोषणा को पढ़ते हुए चित्रित करना एक आदर्श तरीका होगा, न कि सलामी मुद्रा में।
चंद्र बोस नेताजी की 125वीं जयंती समारोह को लेकर बनी केंद्रीय समिति के सदस्य भी हैं, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। होलोग्राम प्रतिमा में सलामी मुद्रा को लेकर नेताजी के परिवार को आपत्ति है। उन्होंने कहा, “नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा, जिसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था, वह सलामी मुद्रा में थी। बेशक, उन्होंने सलाम किया लेकिन नेताजी साल में 365 दिन क्यों सलाम करेंगे?”
गीतकार जावेद अख्तर ने भी इसी तरह की आपत्ति जताई थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “नेताजी की मूर्ति का विचार तो ठीक है लेकिन प्रतिमा का चुनाव सही नहीं है। पूरे दिन यातायात चलता रहेगा और मूर्ति सलामी की मुद्रा में खड़ी होगी, यह उनकी गरिमा के खिलाफ होगा।”
चंद्र बोस ने पीएम को एक पत्र लिखकर “प्रतिमा सौंदर्यशास्त्र और डिजाइन” के लिए एक वर्चुअल बैठक के माध्यम से प्रतिमा से संबंधित विवरणों पर चर्चा करने का आग्रह किया है। बोस ने कहा, “मैंने 21 अक्टूबर 1943 नेताजी के साथ संयुक्त स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार की घोषणा को पढ़ते हुए की मुद्रा में प्रतिमा का प्रस्ताव रखा है। संसद में नेताजी का एक समान चित्र है जो ब्रिटिश राज के खिलाफ युद्ध की घोषणा करता है।”
चंद्र बोस ने भी ट्वीट किया, “माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र। प्रतिमा के माध्यम से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विशाल व्यक्तित्व को प्रोजेक्ट करना अनिवार्य है। पीएम की अध्यक्षता में प्रतिमा के सौंदर्य डिजाइन के लिए उच्च स्तरीय केंद्रीय समिति में चर्चा की गई है।”