अब ई-कॉमर्स साइटों के फर्जी रिव्यू पर सख्ती, खराब सामान-सेवा से निराश उपभोक्ताओं की सरकार ने ली सुध
नई दिल्ली: ई-कॉमर्स साइटों पर रिव्यू देखकर खरीदी करने और खराब सामान पाकर निराश होने वाले उपभोक्ताओं की सुध लेते हुए सरकार ने फर्जी रिव्यू पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। उपभोक्ता मामलों के विभाग की बैठक में भारत में सक्रिय प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों ने उपभोक्ता समीक्षाओं के लिए गुणवत्ता मानदंडों का अनिवार्य अनुपालन के सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल व मेटा जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
बैठक में ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं पर आईएस 19000:2022 मानक लागू करने के प्रस्तावित गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को लेकर बड़ी कंपनियों में आम सहमति बनी। सभी का मानना था कि उपभोक्ता हितों को शॉपिंग वेबसाइटों और एप्स पर भ्रामक समीक्षाओं से बचाने के लिए यह आदेश महत्वपूर्ण है और इस पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है। विभाग जल्द ही मसौदा आदेश सार्वजनिक करेगा और लोगों से इस पर परामर्श मांगेगा।
मानक महत्वपूर्ण : खरे
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, ये मानक महत्वपूर्ण है क्योंकि ऑनलाइन खरीदार इन समीक्षाओं पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं क्योंकि वे उत्पादों का भौतिक निरीक्षण नहीं कर सकते। ऐसे में फर्जी रिव्यू न सिर्फ ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की विश्वसनीयता को खतरे में डालते हैं बल्कि उपभोक्ताओं की गलत खरीदारी का कारण भी बनते हैं।
स्वैच्छिक प्रयास विफल होने के बाद उठाया कदम
विभाग ने फर्जी रिव्यू पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने के स्वैच्छिक प्रयास विफल होने के बाद यह कदम उठाया है। इसके अलावा ई-कॉमर्स से जुड़ी उपभोक्ता शिकायतों में भी वृद्धि भी एक कारण है। आंकड़ों के मुताबिक 2018 में जहां ये शिकायतें 95,270 थीं वहीं 2023 में ये बढ़कर 4,44,034 हो गई। यह कुल दर्ज शिकायतों का 43 प्रतिशत है। एक साल पहले, सरकार ने ई-टेलर्स के लिए गुणवत्ता मानदंड जारी किए थे। उन्हें पेड रिव्यू प्रकाशित करने से रोका था और ऐसी प्रचार सामग्री का खुलासा करने की मांग की थी। लेकिन मानदंड स्वैच्छिक थे और ई कॉमर्स कंपनियों ने इन पर अमल नहीं किया।