बकरीद पर कुर्बान होगा छह लाख रुपये का पठान, प्रयागराज के सोनू मियां ने उदयपुर में लगाई बोली
प्रयागराज: कुर्बानी के त्योहार बकरीद के दिन पहले बकरा मंडी में जानवरों की जमकर बिक्री हुई। उदयपुर से लाया गया पठान चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रयागराज के इंडीरियर डेकोरेटर सोनू मियां ने राजस्थान के उदयपुर में बोली लगाकर कुर्बानी के लिए छह लाख रुपये का बकरा खरीदा। बकरे का नाम पठान है। स्कॉर्पियो से बकरे को लेकर जब वह घर पहुंचे तो पठान को देखने वालों की भीड़ जमा हो गई। इसी तरह शहर के बकरा मंडी में देर शाम तक बकरों की खरीद फरोख्त चलती रही। गैर प्रांतों से बकरा बेचने आए कारोबारियों ने मनमाफिक दाम में बकरों को बेचा।
बकरीद से पहले अंतिम दौर में कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद के लिए मंडियों में देर शाम तक जहां तरह-तरह की नस्लों नुमाइश होती रही, वहीं कीमतें भी खूब लगीं। उदयपुर से लाए गए पठान नामक बकरे की कीमत छह लाख रुपये लगाई गई। राजस्थानी बकरों की मंडियों में खूब डिमांड रही। उदयपुर से लाए गए पठान को सिविल लाइंस के इंटीरियर डेकोरेटर तस्लीम अहमद उर्फ सोनू मियां ने खरीदा।
रविवार को दिनभर बकरा मंडियों में खरीददारों की भीड़ जुटी रही। शहर के कई क्षेत्रों हटिया, अटाला, अस्करी मार्केट, करेली, करैलाबाग, अकबरपुर, नखासकोहना और बैरियर के पास लगी मंडियों में दिन भर बोलियां लगती रहीं। हटिया बकरा मंडी में मेजा के व्यापारी मुस्ताक खान 10 देसी बकरे लेकर आए। उनके सभी देसी पाठा नस्ल के बकरों की कीमत 10,000 से लेकर 12,000 रुपये तक रही।
बकरों की खरीदारी पर इस बार महंगाई की मार
बकरा खरीदने आए हटिया निवासी मो. मुस्तफा ने बताया कि हटिया में पहले चांद दिखने के बाद से बकरीद तक नौ दिन 4,000 से 5,000 बकरे बिक जाया करते थे। इस बार महंगाई की वजह से 150 से 200 बकरे ही बिके। इसका मुख्य कारण बकरा मंडी का अस्करी मोड़ रोड करेली शिफ्ट हो जाना भी है। राजस्थानी और कुछ खास नस्लों के बकरों को पत्ता, मेवा और फल खिलाया जाता रहा। इन मंडियों में बाहर से भी किसान पशुओं को बेचने आ रहे हैं। कौशाम्बी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, चित्रकूट, शक्तिनगर और मध्यप्रदेश के सीधी, सतना के पशुपालक से भी बकरे लेकर पहुंचे।
राजस्थानी बकरों ने मंडी में जमाया कब्जा, देसी बकरों की मांग घटी
अटाला में अकोढ़ा, करछना से आए व्यापारी शकील अहमद और अकबर अली ने बताया कि राजस्थानी बकरे बाजार में आने से देसी बकरे कम और सस्ते दामों में बिक रहे हैं। उनके बकरे 18,000 से 20,000 रुपये में बिके। वहीं, प्रतापगढ़ से आए व्यापारी नूर आलम ने बताया कि उनके पास 10,000 से 12,000 रुपये तक बकरों की बोली लगी। बकरा खरीदने आईं करेली निवासी माजदा बेगम ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार बकरे महंगे हैं। जो पिछले साल 4,000 रुपये के थे वो इस बार 6,000 रुपये में मिल रहे हैं।
असाड़ा, कौशाम्बी के पशुपालक हसीन अहमद पिछले एक महीने से बकरा बेच रहे हैं। उन्होंने 18,000 से 22,000 रुपये के 17 देसी बकरे अब तक बेचे। उन्होंने बताया कि शिया समुदाय के लोग पाठा नस्ल के बकरे की कुर्बानी देते हैं। वहीं सुन्नी समुदाय के लोग खस्सी या बधिया बकरे की कुर्बानी देते हैं। इसके अलावा लोग भेंड़ और भैंस की भी कुर्बानी देते हैं। सरायअकिल कौशाम्बी से करेली आए बकरा व्यापारी दीपू ने बताया कि उनके पास 44 देसी नस्ल के बकरे थे। इनमें 40 बकरे 18,000 से 20,000 रुपये बेच चुके हैं।