पीएम मोदी ने एनसीसी की वार्षिक रैली में की शिरकत, कहा- भारत के युवा वैश्विक भलाई के लिए बल हैं

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री मोदी करियप्पा परेड ग्राउंड में वार्षिक एनसीसी रैली में शामिल हुए, इस दौरान पीएम मोदी ने रैली का निरीक्षण भी किया। इस मौके पर उनके साथ रक्षा मंत्री, रक्षा राज्यमंत्री और सेना प्रमुख भी मौजूद रहे। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि- भारत में युवाओं के सामने रही अनेक बाधाओं को हमने पिछसे 10 साल में हटाने का काम किया है। इससे भारत के युवा का सामर्थ्य बढ़ा है, देश का सामर्थ्य बढ़ा है।

एनसीसी कैडेट्स की खास प्रस्तुति
वहीं इस कार्यक्रम में एनसीसी कैडेट्स ने करियप्पा परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में प्रदर्शन भी किया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा- इस अमृतकाल में…हमें अपना एक ही लक्ष्य रखना है- विकसित भारत। हमारे हर निर्णय की कसौटी, हर हर कार्य की कसौटी…विकसित भारत ही होनी चाहिए। इसके लिए हमें अपने पंच प्राणों को हमेशा याद रखना है। पंच प्राण यानि हमें विकसित भारत बनाना है। हमें गुलामी की हर सोच से मुक्ति पानी है। हमें अपनी विरासत पर गर्व करना है। हमें भारत की एकता के लिए काम करना है और हमें अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना है।

‘एनसीसी ने नौजवानों को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा दी’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ’75 वर्षों के गणतंत्र में भारत के संविधान ने हर समय देश को लोकतांत्रिक प्रेरणा दी, नागरिक कर्तव्यों का महत्व समझाया। इसी तरह NCC ने भी हर समय भारत के नौजवानों को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा दी और उन्हें अनुशासन का महत्व समझाया…आप 21वीं सदी में भारत के विकास को, दुनिया के विकास को निर्धारित करने वाले हैं’।

देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ पर चल रही बहस- पीएम
पीएम मोदी ने कहा, ‘आजादी के बाद काफी समय तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे लेकिन फिर ये पैटर्न टूट गया। इसका देश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। हर चुनाव में वोटिंग लिस्ट अपडेट होती है, बहुत सारे काम होते हैं और इसमें अक्सर हमारे टीचर्स की ड्यूटी लगती है। जिसके कारण पढ़ाई प्रभावित होती हैं। बार बार होने वाले चुनावों की वजह से गवर्नेंस में भी मुश्किलें आती हैं…इसलिए देश में एक बहुत महत्वपूर्ण डिबेट चल रही है और सब लोग इस विषय में अपने अपने विचार रख रहे हैं…और डिबेट क्या है- वन नेशन वन इलेक्शन’।

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