‘टैरिफ से निर्यात पर पड़ेगा असर’, जवाबी शुल्क के बाद आर्थिक चुनौतियों पर आरबीआई गवर्नर ने जताया यह अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया कि दुनियाभर में चल रहे टैरिफ वॉर के कारण विभिन्न क्षेत्रों का आर्थिक परिदृश्य धुंधला पड़ गया है। मल्होत्रा ने कहा कि इससे दुनिया में विकास दर और महंगाई से जुड़ी नई चुनौतियां पैदा होने का जोखिम बढ़ गया है। भारत पर अमेरिका के जवाबी टैरिफ के प्रभाव पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश के निर्यात पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चालू वित्त वर्ष के लिए पहली एमपीसी बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा, “वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण वस्तुओं के निर्यात पर दबाव दिख सकता है। वहीं सेवाओं के निर्यात में लचीलापन रहने की उम्मीद है। वैश्विक व्यापार से जुड़े व्यवधानों के कारण पैदा हुई चुनौतियां दुनियभर के बाजार में गिरावट का जोखिम बढ़ाती रहेंगी।” वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को भी 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।

उन्होंने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था में हाल के दिनों में अस्थिरता बढ़ने से अनिश्चितताएं उच्च स्तर पर बनी हुईं हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को फरवरी के 6.7 प्रतिशत के आकलन की तुलना में 20 आधार अंकों तक कम कर दिया गया है।”

उन्होंने कहा, “हालिया व्यापार शुल्क संबंधी घटनाक्रमों ने विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक परिदृश्य पर अनिश्चितताओं को और बढ़ा दिया है। इससे वैश्विक विकास और मुद्रास्फीति के लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं। इस उथल-पुथल के बीच, अमेरिकी डॉलर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। इससे बांड प्रतिफल में भी कमी आई है। इक्विटी बाजारों में सुधार हो रहा है; और कच्चे तेल की कीमतें तीन वर्षों के निम्नतम स्तर पर आ गई हैं।”

Related Articles

Back to top button