‘बाबा के लिए कम नहीं हुआ सम्मान’, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पीएम से की मुलाकात, किताब भेंट की
दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री को अपनी किताब ‘इन प्रणब माय फादर: ए डॉटर रिमेंबर्स’ की एक प्रति भेंट की। इसके बाद शर्मिष्ठा ने कहा कि उनके पिता के लिए प्रधानमंत्री का सम्मान कम नहीं हुआ है।
‘बाबा के लिए कम नहीं हुआ पीएम का सम्मान’
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया है। इसके साथ ही आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे मेरी किताब की प्रति भेंट करने के लिए बुलाया था। वह मेरे प्रति भी उतने ही दयालु थे, जितने वे हमेशा रहे हैं। बाबा (पिता) के लिए भी उनका सम्मान कम नहीं हुआ है। तस्वीरों में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करते देखा जा सकता है।
किताब में राहुल के नेतृत्व कौशल पर संदेह
कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में अपने पिता के साथ की घटनाओं को याद किया है। किताब में उन्होंने दावा किया है कि प्रणब मुखर्जी को (कांग्रेस सांसद) राहुल गांधी के नेतृत्व कौशल पर संदेह था और वे उन्हें राजनीति के लिए परिपक्व नहीं मानते थे। इससे पहले शर्मिष्ठा ने एक इंटरव्यू में राहुल गांधी को ‘बेहद विनम्र’ और सवालों से भरा हुआ व्यक्ति बताया था। लेकिन, यह भी कहा था कि उन्हें एक राजनेता के रूप में परिपक्व होना बाकी है। किताब के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी ने राहुल की ‘एएम’ और ‘पीएम’ बीच अंतर न करने की क्षमता पर भी सवाल उठाया था।
राहुल पर प्रणब की व्यंग्यात्मक टिप्पणी का जिक्र
उनके मुताबिक, एक दिन प्रणब मुखर्जी मुगल गार्डन (अब अमृत गार्डन) में सुबह की सैर के लिए निकले थे। राहुल उनसे मिलने आए। प्रणब को अपनी सुबह की सैर और पूजा के दौरान किसी भी तरह की रुकावट पसंद नहीं थी। फिर भी राहुल ने उनसे मिलने का फैसला किया। दरअसल, राहुल गांधी की शाम को प्रणब से मुलाकात की योजना थी। लेकिन, उनके कार्यालय ने प्रणब को बताया कि बैठक सुबह के समय होनी थी। जब मुझे (शर्मिष्ठा) एक अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) से घटना के बारे में पता चला तो मैंने अपने पिता से पूछा। इस पर उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में टिप्पणी की कि अगर राहुल का कार्यालय ‘एएम’ और ‘पीएम’ के बीच अंतर नहीं कर सकता है, तो वे एक दिन पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय ) कैसे चला सकते हैं?