शीर्ष 18 राज्यों का राजस्व चालू वित्तीय वर्ष में बढ़कर ₹38 लाख करोड़ पर पहुंच सकता है, क्रिसिल का दावा
देश के शीर्ष 18 राज्यों राजस्व चालू वित्तीय वर्ष में आठ से 10 प्रतिशत तक बढ़कर 38 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। इन राज्यों की देश की जीडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में 90 की हिस्सेदारी है। क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। पिछले वित्तीय वर्ष में इन 18 राज्यों का राजस्व सात प्रतिशत की दर से बढ़ा था। रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों के राजस्व में इजाफे का सबसे मुख्य कारण मजबूत जीएसटी संग्रह और केंद्र से राज्यों को इसका हस्तांतरण होगा। राज्यों के राजस्व में इस मद से आमदनी की हिस्सेदारी करीब 50% है।
रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों को शराब की बिक्री से होने वाली आमदनी जो इनके राज्सव का 10 प्रतिशत है, स्थिर रहने अनुमान है। वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए बिक्री कर का संग्रह और 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान मामूली रह सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि राजस्व वृद्धि को सबसे अधिक गति कुल राज्य जीएसटी संग्रह, बेहतर कर अनुपालन और अर्थव्यवस्था के अधिक औपचारिकरण से मिलती रहेगी। चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय कर हस्तांतरण में 12 से 13 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है जो अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चालक साबित होगा।
केंद्र से राज्यों को मिलने वाले अनुदान में चार से पांच प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो बजट परिव्यय के अनुरूप है। क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा है कि गणना में इस वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्टे के अनुसार राजस्व में सतत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए, राज्यों को अपने राजस्व का विस्तार करने और संग्रह क्षमता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई महीने में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट संसद में पेश करेंगी। इस बजट में राज्यों का राजस्व बढ़ाने की दिशा में केंद्र की ओर से उठाए जा रहे कदमों पर स्थिति और साफ होगी।