‘आयकर अधिनियम की समीक्षा करदाताओं को सहूलियत देने की ओर बढ़ाया गया कदम’, सीबीडीटी प्रमुख का बड़ा बयान

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा है कि आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा के बारे में बजट में की गई घोषणा इस ‘भारी’ कानून को करदाताओं के लिए समझने में ‘सरल’ और उपयोग में सहज बनाने के साथ ही इसे नई प्रौद्योगिकी प्रक्रियाओं से जोड़ने का एक प्रयास है। आयकर अधिनियम 1961 में अभी 298 धाराएं, 23 अध्याय और अन्य प्रावधान शामिल हैं।

अग्रवाल ने बजट के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को बुधवार को दिए इंटरव्यू में कहा कि समय के साथ इस अधिनियम में कई अतिरिक्त चीजें जुड़ी हैं जिससे यह ‘‘बोझिल और भारी’’ हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘करदाताओं को भी लगता है कि यह अधिनियम उतना सरल नहीं है, जितना होना चाहिए। यह बोझिल है, इसलिए प्रयास यह है कि यदि हम इस अधिनियम को सरल बना सकें, समझने में सरल बना सकें, भाषा की दृष्टि से सरल बना सकें, प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से सरल बना सकें, ताकि करदाताओं के लिए अधिनियम समझने और कर व्यवसायी या किसी अन्य व्यक्ति की सहायता लेने की परेशानी शायद कम हो जाए।’’

सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, ‘‘हम इस दिशा में काम कर रहे हैं कि हम इसे (आयकर अधिनियम को) कैसे सरल बना सकते हैं, ताकि करदाता स्वयं इसके प्रावधानों को देखकर सहज महसूस करें और यह अधिक उपयोगकर्ता अनुकूल हो।’’ अग्रवाल ने कहा कि कानून की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रौद्योगिकी कर प्रशासन का अभिन्न अंग बन गई है और हमें यह देखना होगा कि खामियां कहां हैं और हम वास्तव में प्रौद्योगिकी को अधिनियम के प्रावधानों के साथ कैसे जोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम कानून में और सुधार करने पर विचार कर रहे हैं।’’

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गत मंगलवार को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए घोषणा की थी कि आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा छह महीने में पूरी कर ली जाएगी। सीतारमण ने कहा था, ‘‘इसका मकसद अधिनियम को संक्षिप्त, सुस्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाना है। इससे विवाद तथा मुकदमेबाजी कम होगी, जिससे करदाताओं को कर निश्चितता मिलेगी।’’

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