एस जयशंकर बोले- भारत-चीन सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे, कुछ मुद्दों पर काम किया जाना बाकी

नई दिल्ली:  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को भारत और चीन संबंधों को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, अभी भी कुछ मुद्दे बाकी हैं, जिन पर काम किया जाना बाकी है। रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए इन मुद्दों पर काम करने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने एक सम्मेलन में बोलते हुए यह बात कही।

गलवान घाटी में झड़पों के बाद भारत-चीन संबंध 1962 के युद्ध के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। हालांकि, कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद, अक्तूबर 2024 में दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अंतिम दो टकराव बिंदुओं- देपसांग और डेमचोक के लिए एक विघटन समझौता हुआ, जिसके चलते दोनों पक्षों ने टकराव वाले स्थानों से अपने सैनिक वापस बुला लिए।

देपसांग-डेमचोक विघटन समझौता महत्वपूर्ण था: जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर ने सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि देपसांग-डेमचोक विघटन समझौता महत्वपूर्ण था। क्योंकि समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के कुछ दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कजान में बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई फैसले लिए।

चीन के लिए सीधी उड़ानें और कैलाश मानसरोवर यात्रा पर विचार कर रहे
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सीमा पर कुछ मुद्दे अभी भी बने हुए हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सेना का निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान कई अन्य चीजें भी हुईं, जिनमें से कुछ स्थिति का परिणाम थीं। उन्होंने कोविड काल का उदाहरण दिया और कहा कि कोविड के दौरान चीन के लिए हमारी सीधी उड़ानें बंद हो गईं, जो फिर से शुरू नहीं हो सकी हैं। इस अवधि के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा भी बंद हुई। यह भी फिर से शुरू नहीं हो सकी है। विदेश मंत्री ने कहा कि इन मुद्दों पर काम किया जाना बाकी है। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष इन मुद्दों पर विचार कर रहे हैं।

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