नाम बोलने पर भी बच्चा नहीं देता कोई प्रतिक्रिया, कहीं ये ऑटिज्म का संकेत तो नहीं?
आपने भी कई बच्चों को देखा होगा जिनको बोलने, चीजों को ठीक तरीके से समझने में दिक्कत होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कुछ बच्चों में विकासात्मक समस्याओं का खतरा हो सकता है, जो न सिर्फ उनके शारीरिक विकास को प्रभावित करती है, साथ ही इसके कारण मस्तिष्क पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। मेडिकल में इस तरह की समस्याओं को ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है। ये मस्तिष्क के विकास से संबंधित समस्याओं का समूह है। लगभग 100 में से एक बच्चे को ऑटिज्म की दिक्कत हो सकती है।
वैश्विक स्तर पर बच्चों में देखी जा रही इस समस्या को लेकर लोगों को जागरूक करने, समय पर उपचार को लेकर प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल दो अप्रैल को ‘विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है। कहीं आपके बच्चे को भी इस प्रकार की कोई दिक्कत तो नहीं है? बच्चों में इस समस्या की पहचान कैसे की जा सकती है, आइए ऑटिज्म के बारे में विस्तार से समझते हैं।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के बारे में जानिए
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करने वाली स्थिति है जो व्यक्ति के दूसरों के साथ मेलजोल और सोचने के तरीके को प्रभावित करती है, इसके कारण प्रभावित बच्चे के सामाजिक संपर्क में भी समस्या हो सकती है। ऑटिज्म के लक्षण मुख्यरूप से बचपन में ही दिखने लग जाते हैं।पीड़ित में अवसाद, चिंता, सोने में कठिनाई सहित कई अन्य प्रकार की व्यवहारिक समस्याओं के भी विकसित होने का खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इसका समय पर पहचान और उपचार किया जाना जरूरी हो जाता है।
कैसे जानें कहीं आपके बच्चे को भी तो नहीं है दिक्कत?
कुछ बच्चों में शैशवावस्था में ही ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे आंखों का ठीक से संपर्क न हो पाना, अपना नाम सुनने पर भी प्रतिक्रिया न देना आदि। ये बच्चों में भाषा कौशल, बोलने-चीजों को समझने में भी कठिनाई का कारण बन सकती है। आमतौर पर 2 वर्ष की उम्र तक बच्चों में इससे संबंधित समस्याएं दिखाई देने लगती हैं। ऑटिज्म विकार वाले कुछ बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिसका उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर होने का जोखिम रहता है।
क्यों होती है ऑटिज्म की समस्या?
ऑटिज्म होने का कोई एक कारण नहीं हैं, इसके लिए कई प्रकार की स्थितियों को कारक माना जा सकता है। उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि संभवतः पर्यावरण और आनुवंशिक कारक इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं। माता-पिता से विरासत में मिले जीन में किसी प्रकार के दोष के कारण बच्चों में विकासात्मक समस्या होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा शोधकर्ता वर्तमान में यह भी पता लगा रहे हैं कि क्या वायरल संक्रमण, दवाएं या गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलताओं के कारण भी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार की समस्या हो सकती है?