नारी शक्ति का प्रतीक है नवरात्रि का पर्व, महिलाओं के सम्मान के लिए अपनाएं ये आचरण

शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्तूबर 2024 से 11 अक्तूबर 2024 तक मनाया जा रहा है। इस दौरान देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती नवरात्रि के समापन पर कन्या पूजन होता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। उन्हें भोजन कराया जाता है और फिर उपहार और दान दिए जाते हैं। नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। मान्यता है कि जिस घर में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहां सुख और समृद्धि बनी रहती है। यह पर्व केवल देवी की मूर्ति की पूजा ही नहीं, बल्कि हर नारी मां, बहन, बेटी का सम्मान करने का संदेश देता है।

इसलिए सिर्फ कन्या पूजन ही नहीं, बल्कि हर महिला का सम्मान करें। अगर आप देवी की पूजा करते हैं, तो केवल नवरात्रि में ही नहीं, बल्कि हमेशा महिलाओं के प्रति आदर और सम्मान का भाव बनाए रखें। इस नवरात्रि, महिलाओं के सम्मान का संकल्प लें और अपने व्यवहार में बदलाव लाएं, ताकि हर महिला चाहे वह मां हो, बेटी हो या कोई और सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सके।

मां को समय दें

महिलाओं का सम्मान करने के लिए आपको कुछ खास करने की जरूरत नहीं है। शुरुआत अपने घर से करें। जैसे मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं, वैसे ही आपकी मां भी आपका पालन-पोषण करती हैं और आपकी भलाई के लिए काम करती हैं। लेकिन हम अपने व्यस्त जीवन में अक्सर अपनी मां को नजरअंदाज कर देते हैं। इस नवरात्रि, संकल्प लें कि आप अपनी मां के साथ समय बिताएंगे। उनका स्वास्थ्य और जरूरतों का ख्याल रखें। रोज़ कुछ समय अपनी मां के साथ बैठकर बात करें।

बहन को स्वतंत्रता दें

बहनें और बेटियां घर की खुशी होती हैं। देवी की पूजा करने वाले हर भक्त को अपनी बहन-बेटी की मुस्कान का ध्यान रखना चाहिए। बहन-बेटियों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन उन्हें बंदिशों में न बांधें। अक्सर लड़कियां परिवार के पुरुष सदस्यों की इच्छाओं के मुताबिक जीवन जीती हैं। इस नवरात्रि, संकल्प लें कि आप अपनी बहन-बेटियों को आजादी देंगे और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे।

पत्नी का सम्मान करें

नवरात्रि केवल कन्या पूजन तक सीमित नहीं है। मां, बहन, और बेटी का सम्मान करने वाले कई लोग अपनी पत्नी को वह आदर नहीं देते। पत्नी को गृहलक्ष्मी और अन्नपूर्णा कहा जाता है, इसलिए पत्नी और बहू का भी सम्मान करें। उन्हें महसूस कराएं कि ससुराल उनका अपना घर है, जहां उनका पूरा अधिकार है।

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