यूक्रेन की सीमाओं को रूसी सेना ने चारो तरफ से घेरा , कभी भी शुरू हो सकता है युद्ध
यूक्रेन की सीमाओं को रूसी सेना के 1 लाख 30 हजार सैनिकों ने घेर रखा है और लगातार युद्ध का संकट बना हुआ है। अमेरिका ने 16 फरवरी को रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला किए जाने की आशंका जताई थी, लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ है।
फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि यूक्रेन पर हमले का खतरा बना हुआ है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को लेकर लंबे समय से गंभीर रहे हैं और उसके यूरोपियन यूनियन का हिस्सा बनने का विरोध करते रहे हैं।
रूस की ओर से लगातार यूक्रेन पर हमले की बात से इनकार किया जा रहा है। बीते दिनों फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात में भी व्लादिमीर पुतिन ने हमले की बात से इनकार किया था।
हालांकि पश्चिमी देश रूस के इस आश्वासन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि रूस की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यदि वह शांति चाहता है तो फिर यूक्रेन की सीमा पर उसके सैनिक इतनी बड़ी संख्या में क्यों तैनात हैं। यही वजह है कि लगातार अमेरिका और नाटो देश रूस की ओर से हमले की आशंका जता रहे हैं।
यूक्रेन पर रूस के इरादों को लेकर तमाम तरह की बातें होती रहती हैं। इनमें से एक बात यह है कि व्लादिमीर पुतिन रूस को सोवियत संघ के दौर में ले जाना चाहते हैं, जब वह महाशक्ति था। दरअसल सोवियत संघ के विघटन के बाद एस्टोनिया, लिथुआनिया, लाटविया, बेलारूस, जॉर्जिया और यूक्रेन जैसे देश अस्तित्व में आए।
व्लादिमीर पुतिन कई बार इस विघटन को रूस की कमजोरी का कारण बता चुके हैं। माना जा रहा है कि इसीलिए वह यूक्रेन को रूस के ब्लॉक में लाना चाहते हैं। व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन या फिर नाटो देशों का हिस्सा बनने के खिलाफ हैं। इसीलिए वह युद्ध को टालने के लिए इस पर पश्चिमी देशों से गारंटी चाहते हैं।
सोवियत संघ के विघटन के बाद कई देश अस्तित्व में आए थे, लेकिन उनमें सबसे बड़ा यूक्रेन है। बीते कुछ सालों में यूक्रेन की नजदीकी पश्चिमी देशों से बढ़ी है। नाटो से भी करीबी है, जिसे लेकर व्लादिमीर पुतिन आपत्ति जताते रहे हैं।
वह यूरोपियन यूनियन के साथ यूक्रेन के रिश्तों के खिलाफ हैं। रूस के मामलों के जानकारों का कहना है कि यूक्रेन को रूस के विघटन के प्रतीक के तौर पर व्लादिमीर पुतिन मानते हैं। इसके अलावा वह आज भी यूक्रेन को रूस का ऐतिहासिक हिस्सा मानते हैं और शीत युद्ध में अपनी हार के तौर पर यूक्रेन के अस्तित्व को देखते हैं।