एयर इंडिया और विस्तारा के विलय का रास्ता हुआ साफ, राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण ने मंजूरी दी
राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) ने गुरुवार को एयर इंडिया और विस्तारा के विलय को मंजूरी दी। जिससे इसके दुनिया के सबसे बड़े एयरलाइन समूहों में से एक बनने का रास्ता साफ हो गया है। विलय के बाद सिंगापुर एयरलाइंस की एयर इंडिया में 25.1 फीसदी हिस्सेदारी होगी। विस्तारा सिंगापुर एयरलाइंस और टाटा समूह का एक संयुक्त उद्यम है।
एनसीएलटी की चंडीगढ़ पीठ ने 31 पन्नों के फैसले में टैलेस, एयर इंडिया और विस्तारा से जुड़ी समग्र व्यवस्था योजना को मंजूरी दी। सभी टाटा समूह का हिस्सा हैं। एयर इंडिया को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक विलय पूरा हो जाएगा। एनसीएलटी की चंडीगढ़ की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि इस योजना को दोनों एयरलाइन कंपनियों के शेयरधारकों और लेनदारों से पहले ही आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है।
एनसीएलटी के आदेश में कहा गया, याचिकाकर्ता कंपनियों और उनके शेयरधारकों के बीच धारा 230 से 232 और कंपनी अधिनियम 2013 के अन्य प्रावधानों के तहत समग्र व्यवस्था योजना को मंजूरी दी जाती है। इसमें कहा गया है कि योजना कंपनियों और उनके संबंधित शेयरधारकों के लिए बाध्यकारी होगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि कंपनियां सिंगापुर एयरलाइंस (विस्तारा की शेयरधारक) से प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) की मंजूरी और डीजीसीए/एमओसीए से संबंधित सीएआर (नागरिक उड्डयन विनियमन) के तहत आवश्यक सुरक्षा मंजूरी इस आदेश की तारीख से नौ महीने की समय सीमा केभीतर सुनिश्चित करेंगी। इस साल मार्च में सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा नियामक सीसीसीएस ने प्रस्तावित विलय को सशर्त मंजूरी दी। सितंबर 2023 में सौदे को कुछ शर्तों के साथ सीसीआई से मंजूरी मिली। टाटा समूह ने जनवरी 2022 में घाटे में चल रही एयर इंडिया की बागडोर संभाली थी।