युगांडा में शुरू होगी आधार जैसी डिजिटल पहचान प्रणाली, यूपीआई अपनाने पर भी हो रहा विचार

अफ्रीकी देश युगांडा जल्द ही भारत द्वारा विकसित ओपन-सोर्स तकनीक एमओएसआईपी पर आधारित आधार जैसी डिजिटल पहचान प्रणाली शुरू करने जा रहा है। इसके साथ ही, युगांडा की सरकार भारत के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को भी अपनाने पर विचार कर रहा है ताकि लेन-देन की लागत को कम किया जा सके। शनिवार को मामले में जानकारी देते हुए युगांडा के राष्ट्रीय पहचान और पंजीकरण प्राधिकरण (एनआईआरए) की प्रमुख रोजमेरी किसेम्बो ने जानकारी दी कि भारत के आईआईटी बेंगलुरु द्वारा विकसित एमओएसआईपी सिस्टम को युगांडा के कानूनों के अनुसार पूरी तरह से ढाल लिया गया है।
युगांडा में शुरू किए जाएंगे पांच मॉड्यूल
एनआईआरए की प्रमुख रोजमेरी किसेम्बो ने आगे इसके शुरुआती मॉड्यूल पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आने वाले हफ्तों में युगांडा में इसके पांच मॉड्यूल शुरू किए जाएंगे, जिसमें नया पंजीकरण, नवीनीकरण, जानकारी में सुधार, खोई हुई आईडी का पुनः निर्गमन इसके साथ ही पहली बार आईडी जारी करना शामिल है। किसेम्बो ने आगे बताया कि इस सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट पहले से ही चल रहा है और जल्द ही इसे जन्म व मृत्यु पंजीकरण के साथ भी जोड़ा जाएगा।
भारतीय यूपीआई मॉडल की ओर भी विचार
युगांडा अब भारत के UPI मॉडल को भी अपनाने की दिशा में सोच रहा है, जिससे लोगों को कम लागत में और तुरंत डिजिटल भुगतान की सुविधा मिल सके। इसको लेकर किसेम्बो ने कहा कि यूपीआई से हर नागरिक को एक फ्री वॉलेट मिलेगा, जिससे पैसा भेजना और लेना बहुत आसान हो जाएगा। उन्होंने भारत की एक अरब से ज्यादा लोगों तक आधार पहुंचाने की सफलता की तारीफ करते हुए कहा कि भारत की इस डिजिटल छलांग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह युगांडा जैसे देशों के लिए प्रेरणा है।