अभी तक सिर्फ दो ही महिलाएं पहुंचीं संसद, सोनिया ने राहुल गांधी के लिए छोड़ दी थी सीट

सत्ता के शिखर तक पहुंचाने की हैसियत रखने वाली अमेठी की सियासी जमीन आधी आबादी के लिए बहुत उपजाऊ नहीं रही। लोकसभा बनने के बाद से अब तक यहां महज दो ही महिला सांसद हो पाईं हैं। लोकसभा चुनाव 1984 में पहली दफा मेनका गांधी चुनाव लड़ी थीं। उन्होंने अपने जेठ स्व. राजीव गांधी के मुकाबिल चुनावी मैदान में उतर कर आधी आबादी की ताकत का एहसास कराया था। हालांकि वह चुनाव हार गई थीं। 1984 के बाद से 1998 तक यहां महिला उम्मीदवारों का अकाल रहा।

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में फिर गांधी परिवार की बड़ी बहू सोनिया गांधी चुनाव लड़ीं। वह अमेठी की पहली महिला सांसद चुनी गईं। 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने यह सीट अपने बेटे राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और यहां से महिला प्रतिनिधित्व फिर समाप्त हो गया। साल 2009 में महिला अधिकार पार्टी से सुनीता ने चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

लोकसभा चुनाव 2014 का वक्त आया। अमेठी लोकसभा बनने से अब तक सबसे अधिक महिलाओं ने चुनाव लड़ा। भाजपा से स्मृति इरानी के अलावा तीन अन्य महिलाएं जाहिदा बेगम, मिथिलेश कुमारी, छाया सिंह भी मैदान में उतरीं, लेकिन सभी को शिकस्त मिली। समय आया 2019 के चुनाव का। इस बार भाजपा से स्मृति इरानी और निर्दल के रूप में सरिता एस नायर ने चुनाव लड़ा। 1999 के बाद स्मृति इरानी के रूप में अमेठी को दूसरी महिला सांसद मिलीं।

इस सब के इतर जिले में 100 किन्नर वोटर हैं, लेकिन उनकी हिम्मत की दाद देनी होगी। 2014 में सोनम किन्नर ने चुनाव लड़कर सभी को चौंका दिया था। आजादी के बाद से यहां से अब तक सोनम पहली और एकमात्र किन्नर प्रत्याशी रही हैं। सोनम को 1252 वोट भी मिले थे। कुल मिलाकर 2014 का चुनाव रोमांचक रहा।

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