सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा? जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
जल्द ही सर्दी दस्तक देने वाली है ऐसे में कम तापमान के कारण विभिन्न बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इन्हीं में से एक है ब्रेन स्ट्रोक. ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मामले काफी अधिक बढ़ जाते हैं. इस मौसम में की गई थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है. ऐसे में सतर्क रहना बेहद जरूरी है. ब्रेन स्ट्रोक को लकवा मारना भी कहते हैं. अक्सर इसके मामले 50 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में देखने को मिलते हैं. हालांकि अब ये उम्र देखकर नहीं आता है इसकी शिकायत 30 से 35 साल से कम उम्र वाले लोगों में भी देखने को मिल रही है. आखिर ठंड में इसके अधिक बढ़ जाने का कारण क्या है आइए जानते हैं.
ब्रेन स्ट्रोक क्या है?
मेडिकल टर्म में इसे इंट्राक्रैनियल हेमोरेज (intracranial hemorrhage) के नाम से जाना जाता है. ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त संचार में रुकावट आ जाती है या जब मस्तिष्क में कोई रक्त वाहिका टूट जाती है और रिसाव होने होने लगता है. रक्त जमने लगता है, जिससे धमनियों में दबाव बढ़ता है। इसके कारण धमनियों डैमेज हो जाती हैं और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. इसकी वजह से मस्तिष्क तक रक्त का संचार नहीं हो पाता है. रक्त के और पोषक तत्वों के संचार के बिना ब्रेन टिश्यू, साथ ही कोशिकाओं को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है. इसके कारण ब्रेन डेड की स्थिति पैदा हो जाता है.
सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है खतरा?
सर्दी में खून की नसें सिकुड़ने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इससे दिमाग की नसें फटने या उसमें ब्लॉकेज होने के कारण ब्रेन स्ट्रोक हो जाता है. हमारा शरीर मौसम में आए बदलाव के साथ बहुत धीमी गति से सामंजस्य बिठाता है. तापमान में कमी के कारण रक्त गाढ़ा होने लगता है, खून की पतली नली संकरी हो जाती है. जिसके कारण ब्लड पर प्रेशर पड़ता है. जिसके कारण ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ जाता है
ब्रेन स्ट्रोक के कारण-
खराब खानपान
एक्सरसाइज न करना
लंबे-लंबे समय तक बैठे रहना
शरीर का अधिक वजन
स्मोकिंग और शराब का सेवन
पारिवारिक इतिहास
तनाव अधिक लेना
सिर में गंभीर चोट लगना
हाई बीपी
गर्भावस्था में एक्लम्पसिया और इंट्रावेंट्रिकुलर ब्लीडिंग के कारण
ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षण-
-चेहरा टेढ़ा होने लगना
– शरीर के एक हाथ-पैर में ताकत कम होने लगना
-हाथ ऊपर उठाने व चलने में परेशानी
शरीर का शिथिल होना
-बोलने में कठिनाई
-घबराहट के साथ सांस लेने की परेशानी होना
-तेज सिरदर्द होना
– एक तरफ चेहरे में सुन्नता महसूस करना
– कमजोरी के साथ भ्रम की स्थिति में आ जाना
– आंखों में धुंधलापन आना
– जी मिचलाना या उल्टी होना
इन्हें है ज्यादा खतरा
-डायबिटीज के मरीज
कोलेस्ट्राल से ग्रसित लोग
– अनियंत्रित वजन वाले लोग
– गर्भवती महिलाएं
– गर्भ निरोधक, हार्मोंस की दवाओं का सेवन करने वाली महिलाएं
– 55 साल से अधिक वाले लोग
– एनीमिया के रोगी
-हाई बीपी के मरीज
कैसे बचें?
तनाव से बचें
-हाई ब्लडप्रेशर के मरीज नियमित दवाएं लें
– अल्कोहल व धूमपान से बचें
– योग, व्यायाम व प्राणायाम करें
– सिर दर्द को गंभीरता से लें
-सुबह टहलने जाएं
-अच्छी तरह से गर्म कपड़े पहनें
-माइग्रेन से ग्रसित हैं तो चिकित्सक से सलाह लें
-शुगर को हमेशा कंट्रोल में रखें