क्या अमेरिका के दखल से रुक जाएगी भूमध्य सागर में बड़े युद्ध की आशंका? भारत की हालात पर सीधी नजर

अमेरिका का तीसरा युद्धक बेड़ा अब्राहम लिंकन भूमध्य सागर की ओर चल पड़ा है। रक्षा मंत्री आस्टिन लॉयड के निर्देश पर पेंटागन ने परमाणु पनडुब्बी को भी भेज दिया है। भारतीय सामरिक विशेषज्ञों को भी लग रहा है कि अमेरिका के हडक़ाने से मिडिल ईस्ट में हालात काबू में नहीं आ रहे हैं। पूर्व राजनयिक एसके शर्मा कहते हैं कि दुनिया में बढ़े प्राक्सीवॉर के खेल ने खतरनाक रूप ले लिया है। पूर्व विदेश सचिव शशांक भी पश्चिम एशिया में जो खेल अमेरिका ने शुरू किया था, उसे कई खिलाडियों ने सीख लिया है।

भारतीय विशेषज्ञों को यह मानने में कोई गुरेज नहीं है कि बांग्लादेश में चल रहे घटनाक्रम भी इसी प्राक्सीवॉर का हिस्सा है। इसने भारत की परेशानी को भी बड़े पैमाने पर बढ़ा रखा है। भारतीय विदेश सेवा के एक पूर्व अधिकारी कहते हैं कि ईरान के पास कहीं से भी इस्राइल से लडऩे की क्षमता नहीं है। इस्राइल फायर पॉवर के मामले में ईरान पर बहुत भारी है, लेकिन ईरान और इस्राइल के बीच में कोई सीधा युद्ध नहीं होने वाला है। ईरान ने भी प्राक्सी वॉर का सहारा ले रखा है।

फिलिस्तीन के संगठन हमास ने इस्राइल पर हमला किया था। इसके जवाब में इस्राइल हमास पर सैन्य हमले कर रहा है। दूसरी तरफ लेबनान से हिज्बुल्लाह ने इस्राइल के सैन्य ठिकानों और अन्य को निशाना बनाना शुरू किया है। तीसरी तरफ यमन से हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में हमला करके बाधित कर रखा है। इन सबके बीच में हमास के पालिटिकल विंग के प्रमुख इस्माइल हानिए की हत्या हो गई है। इससे ईरान, हिजबुल्लाह, हमास, हूती बुरी तरह से भडक़े हैं।

गड़बड़ाई भू-राजनैतिक स्थिति में सब मिलकर एक साथ कर सकते हैं हमला
अंतरराष्ट्रीय सैन्य डिप्लोमेसी और स्ट्रेटजिक अफेयर्स पर निगाह रखने वाले भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल का कहना है कि धीरे-धीरे तनाव और युद्ध दोनों प्राक्सीवॉर के दौर से बाहर आ रहे हैं। पूर्व सैन्य अधिकारी को अंदेशा है कि जल्द ही पहले हिजबुल्लाह हमले का फ्रंट खोल सकता है। इसके बाद हमास के लड़ाके और यमन के विद्रोही तथा ईरान एक साथ इस्राइल के कई शहर को निशाना बना सकते हैं। बताते हैं ईरान की आर्थिक हालत किसी युद्ध को झेलने की नहीं है।

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