इन मंत्रों और आरती के साथ करें ऋषि पंचमी की पूजा
सनातन धर्म में ऋषि पंचमी व्रत का खास महत्व है. ऋषि पंचमी व्रत व्यक्ति को पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता हैं. ऋषि पंचमी व्रत मुख्य तौर पर महिलाएं रखती है. भारत में कई स्थानों पर ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है.
इस व्रत में सप्तम ऋषियों की पूजा भी की जाती है. यह गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन पड़ता है. इस साल ऋषि पंचमी आज 19 सितंबर 2023 को है. ऋषि पंचमी को गुरु पंचमी, भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ऋषि पंचमी पर उपवास रखने से पापों से मुक्ति एवं ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
ऋषि पंचमी पूजा विधि:-
ऋषि पंचमी के दिन प्रातः जल्दी स्नान करने के पश्चात् साफ वस्त्र धारण करें. घर पर साफ जगह पर चौकोर आकार का आरेख मंडल कुमकुम, हल्दी तथा रोली से तैयार करें. मंडल पर सप्तऋषि की प्रतिमा स्थापित करें. फिर शुद्ध जल और पंचामृत छिड़कें. चंदन का टीका लगाएं. सप्तऋषि को पुष्प अर्पित करें. इसके पश्चात उन्हें पवित्र यज्ञोपवीत पहनाएं और सफेद वस्त्र भेंट करें. महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. पूजा के पश्चात् महिलाओं को अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए.
ऋषि पंचमी का मंत्र
ऋषि पंचमी पर इस मंत्र के जाप से सभी पापों से मुक्ति पाई जा सकती है. घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है. विशेष रूप से महिलाओं को ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
‘कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः.
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः’॥
ऋषि पंचमी की आरती:-
ॐ जय -जय शान्तपते , प्रभु जय -जय शान्तपते ।
पूज्य पिता हम सबके, तुम पालन करते । ॐ जय …
शान्ता संग विराजे, ऋषि श्रृंग बलिहारी । प्रभु……
जस गिरिजा संग सोहे, भोले त्रिपुरारी । ॐ जय ….
लोमपाद की रजधानी में, जब दुर्भिक्ष परयो । प्रभु…..
वृष्टि हेतु बुलवाये, जाय सुभिक्ष करयो । ॐ जय …..
महायज्ञ पुत्रेष्ठी, दशरथ घर कीनो । प्रभु…..
प्रकट भये प्रतिपाला, दीन शरण लीनो । ॐ जय …..
शीश जटा शुभ सोहे, श्रृंग एक धरता । प्रभु……
सकल शास्त्र के वेत्ता, हम सबके करता । ॐ जय …..
सब बालक हम तेरे, तुम सबके स्वामी । प्रभु……
शरण गहेंगे तुमरी, ऋषि तव अनुगामी । ॐ जय ……
विनय हमारी तुमसे, सब पर कृपा करो । प्रभु….
विद्या बुद्धि बढ़ाओ,उज्ज्वलभाव भरो । ॐ जय …..
हम संतान तुम्हारी, श्रृद्धा चित्त लावें । प्रभु…..
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की, प्रेम सहित गावें ॐ जय …..